बाँके बिहारी जी के प्रकट उत्सव बिहार पंचमी की सबको बधाई🌹
संगीत सम्राट तानसेन के गुरु स्वामी हरिदास वृन्दावन के निधिवन में ठाकुर जी की आराधना करते थे| संवत १६०० में मार्गशीर्ष मॉस के शुक्ल पक्ष की पंचमी की बात है, वे आराधना में रत थे श्यामाश्याम प्रकट हुए | उनकी रूप माधुरी को देख कर स्वामी हरिदास विस्मय विमुग्ध हो कर कह उठे, माई री सहज जोरी प्रगट भइ …| सहज प्रगट उस युगल के स्निग्ध सौंदर्य को अपलक निहारते हुए स्वामी हरिदास अपनी सुधबुध खो बैठे | ललिता सखी के अवतार स्वामी हरिदास तब श्री धाम वृन्दावन में सखी भाव से श्यामाश्याम की निकुंजोपासना कर रहे थे |उन्हें लगा की इष्ट के अपूर्व सौंदर्य का दर्शन लोक सहन नहीं कर पायेगा, इसलिए उन्होंने दोनों से एक ही रूप में आ जाने के लिए प्राथना की | इस पर नित्य राधा माधव उनकी गोद में विराजमान हो गए | स्वामी हरिदास ने दोनों को आलिंगन में बांधकर एक दूसरे के समीप लाना शुरू किया और अंत में दोनों को एक रूप में समाहित कर दिया |श्यामाश्याम को इस एकाकी रूप में पाकर हरिदास बहुत प्रसन्न हुए |
वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर में इन्ही एकाकार श्यामाश्याम की आराधना पूजा होती है |