प्रभु संकीर्तन 39

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जय श्री राम हमें भगवान की भक्ति करते हुए  सरवरूप परमात्मा की झलक और सबमे परमात्मा के प्रकाश की झलक तो दिखे ही साथ मे अपने अन्दर भी प्राण नाथ प्यारे को हम महसुस करले। ऐसा प्रतिदन नहीं हो सकता है। जब भगवान के साथ तार सुबह से शाम तक दो दो तीन दिन तक जुङते है। बाहरी अह्सास बनते रहते हैं। अपने अन्दर के अहसास  हमे मौन का मार्ग अपनाने पर बनते हैं। तब हमारे अन्दर यह भाव प्रकट होते हैं। जय श्री राम अनीता गर्ग

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