होनी तो हो के रह अनहोनी न होए

buddha statue buddha statue


मैं आत्मा हूं यह मैं जानता हूं इस लिए यह अनहोनी नहीं हो सकती कि कोई मुझे मार दे !
क्योंकि
आत्मा को कोई मार ही नहीं सकता अविनाशी होने के कारण !
अब मुझे अपने मर जाने का या अपने किसी के मर जाने का डर नहीं रहता और मैं बड़े आराम से निर्भय होकर सोता हूं !
पंचभूत से निर्मित यह देह मैं नहीं हूं इतना मैं अनुभव करता हूं !
इस लिए मुझे इस को सदा के लिए बचाए रखने का कोई प्रयास नहीं करना !
क्योंकि
यह होनी तो होकर रह गी कि यह देह तो एक न एक दिन मरे गा ही नाशी होने के कारण !
अब मुझे इस अपने देह को सदा के लिए बचाए रखने की चिंता नहीं रहती इस लिए अब मैं बड़े आराम से निर्भय होकर सोता हूं !
अपने को आत्मा जाने बिना कोई भी निर्भय होकर बड़े आराम से सो नहीं सकता !
बिना अपने को मैं आत्मा हूं जाने प्रत्येक व्यक्ति कोई न कोई मन में भय लेकर ही सोता हैं !
मन में बिना किसी डर के बड़े आराम से सोना हो तो मैं जड़ देह (स्त्री या पुरुष) नहीं बल्कि मैं तो चेतन आत्मा हूं जानना ही पड़ेगा !
जय श्री राम

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