सुविचार 6

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नमामि भक्त वत्सलं। कृपालु शील कोमलं॥
भजामि ते पदांबुजं। अकामिनां स्वधामदं॥
निकाम श्याम सुंदरं। भवांबुनाथ मंदरं॥
प्रफुल्ल कंज लोचनं। मदादि दोष मोचनं॥

अर्थ-: हे भक्त वत्सल! हे कृपालु! हे कोमल स्वभाव वाले! मैं आपको नमस्कार करता हूँ। निष्काम पुरुषों को अपना परमधाम देने वाले आपके चरण कमलों को मैं भजता हूँ। आप नितान्त सुंदर श्याम, संसार (आवागमन) रूपी समुद्र को मथने के लिये मंदराचल रूप, फूले हुये कमल के समान नेत्रों वाले और मद आदि दोषों से छुड़ाने वाले हैं॥

आपदाम् हरतारं दातारम् सर्व संपदाम्।
लोकाभिरामंश्रीरामं भूयोभूयोनमाम्यहम्।।

अर्थ-: आपदा को हरने वाले एवं समस्त सम्पदा को देने वाले तथा लोगों को आनंद देने वाले श्रीरामचन्द्र जी को बारंबार प्रणाम

सभी मानस प्रेमी बंधुओं को सादर प्रणाम🙏

जय श्री सीताराम

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