सेंगोल का जिक्र महाभारत और रामायण में भी है

तमिल शब्द सेंगोल का अर्थ ‘न्याय’ होता है :-

सेंगोल का जिक्र महाभारत और रामायण जैसे ग्रन्थों में भी मिलता हैं और प्राचीन काल में सर्वप्रथम चोल ,चालुक्य, पंड्य राजवंशों के पास ये सेंगोल प्रचलन में आए ।

पुराने समय में जब राजा का राजतिलक होता था और राजमुकुट पहनाया जाता था तो राजतिलक होने के बाद राजा को धातु की एक छड़ी भी थमाई जाती थी, जिसको राजदंड कहा जाता था सबसे ज्यादा चोल काल के दौरान भी राजदंड का प्रयोग सत्ता हस्तान्तरण करने के लिए किया जाता था। उस समय पुराना राजा नए राजा को इसे सौंपता था यह सेंगोल होता था यानी राज दंड.. न कि कोई स्तंभ ।

सेंगोल का अर्थ ‘न्याय’ है सेंगोल प्राचीन काल में एक स्वर्ण परत वाला राजदण्ड होता था हम इसे प्राचीन मूर्तियो में भी देख सकते है हमारे पूर्वजों ने इसका प्रमाण भी छोड़ा हुआ है । भारत में सर्वप्रथम चोल साम्राज्य में यह न्याय के प्रतीक स्वरूप स्थापित हुआ था और कई हिन्दू राजाओं ने अपने राज़ काल में इसकी स्थापना या उपयोग किया था वर्तमान में भी कई प्रमाण मौजूद है लगभग 5000 वर्ष से भी अधिक वर्ष के सेंगोल के उपयोगिता के प्रमाण मौजूद है ।

चोल सम्राज्य के साथ अन्य राजवंश के समय में तथा जब भारत आजाद हुआ था तब भी नेहरू जी के काल में भी इसका उपयोग हुआ था कई प्राचीन मूर्तियों में भी सेंगोल देखने को मिलता है।

यह कोई नई बात नहीं ।तमिल या दक्षिण राजाओं चोल ,चालुक्य, पंड्य राजवंशों के पास ये सेंगोल होते थे जिसे अच्छे शासन का प्रतीक माना जाता था। शिलप्पदिकारम् और मणिमेखलै, दो महाकाव्य हैं जिनमें सेंगोल के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है। विश्वप्रसिद्ध तिरुक्कुरल में भी सेंगोल का उल्लेख है।

सेंगोल तमिल शब्द ‘सेम्मई’ (नीतिपरायणता) व ‘कोल’ (छड़ी) से मिलकर बना हुआ है। ‘सेंगोल’ शब्द संस्कृत के ‘संकु’ (शंख) से भी लिया गया है। सनातन धर्म में शंख को बहुत ही पवित्र माना जाता है ।नंदी को हिंदू धर्म में एक पवित्र पशु माना गया हैं और नंदी भगवान शिव का वाहन है। नंदी को पुराणों में शक्ति-सम्पन्नता और कर्मठता का प्रतीक माना गया हैं| नंदी की प्रतिमा के कारण सेंगोल का शैव परंपरा से जुड़ाव प्रदर्शित होता है। क्यों की चोल सम्राज्य शैव थे और दक्षिण भारत के अधिकांश राजवंश शैव ही थे ।

शैव परंपरा में नंदी को शक्ति-सम्पन्नता व समर्पण का प्रतीक माना जाता है। यह समर्पण राजा और प्रजा दोनों का राज्य के प्रति लगाव को दर्शाता है। शिव मंदिरों में नंदी हमेशा शिव के सामने स्थिर मुद्रा में बैठे हुए होते हैं। नंदी की स्थिरता को शासन के प्रति अडिग होने का प्रतीक माना गया है।

ज्ञात हो सेंगोल को सदियों पहले से दक्षिण भारत की चेरा, चोला और पंड्या वंशों में सत्ता का हस्तांतरण का प्रतीक माना जाता हैं| जब भारत को आजादी मिली तो भारत के आख़िरी वायसरॉय माउंटबेटेन ने पं. जवाहर लाल नेहरू से पूछा कि भारत की बागडोर ब्रिटिश से लेकर भारत को कैसे सौंपी जायें? नेहरू ने चक्रवर्ती राजगोपालाचारी से सता हस्तांतरण के बारे में सलाह ली थी तब राजगोपालाचारी ने कहा कि सदियों पहले हमारे भारत के राजवंश दक्षिण भारत की चेरा, चोला और पंड्या वंशों में जिस तरह सत्ता का हस्तांतरण किया जाता था ठीक उसी तरह अंग्रेज़ों से भारत को सत्ता सौंपी जानी चाहिए उन्होंने ने बताया कि चोल साम्राज्य में इस तरह की परंपरा का पालन हमेशा किया जाता था|

संविधान की किताब पकड़ कर संसद में जाना था हजारों वर्ष से चला आ रहा वहीं संस्कृति को सिंगोल के रूप में पुनः जागृत किया गया ।

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