होनी प्रबल है

सीता-राम विवाह और राम का राज्याभिषेक दोनों शुभ मुहूर्त में किया गया, फिर भी न वैवाहिक जीवन सफल हुआ न राज्याभिषेक। जब मुनि वशिष्ठ से इसका जवाब मांगा गया तो उन्होंने साफ कह दिया-

सुनहु भरत भावी प्रबल, बिलखि कहेहूं मुनिनाथ।
लाभ हानि, जीवन मरण, यश अपयश विधि हाथ।।

अर्थात, जो विधि ने निर्धारित किया है वही होकर रहेगा न राम के जीवन को बदला जा सका, न कृष्ण के, न ही शिव, सती की मृत्यु को टाल सके, जबकि मृत्युंजय मंत्र उन्ही का आह्वान करता है।

रामकृष्ण परमहंस भी अपने कैंसर को न टाल सके, न रावण अपने जीवन को बदल पाया और न कंस! जबकि दोनों के पास समस्त शक्तियाँ थी।

मानव अपने जन्म के साथ ही जीवन मरण, यश अपयश, लाभ हानि, स्वास्थ, बीमारी, देह रंग, परिवार समाज, देश स्थान सब पहले से ही निर्धारित कर के आता है। साथ ही साथ अपने विशेष गुण धर्म, स्वभाव, और संस्कार सब पूर्व से लेकर आता है।

इसलिए यदि अपने जीवन मे परिवतर्न चाहते हैं, तो अपने कर्म बदलें। आपकी मदद के लिए स्वयं आपकी आत्मा और परमात्मा दोनों खड़े है। उसे पुकारें। वह परमात्मा ही आप का सच्चा साथी है। परमपिता परमात्मा से ज्यादा शुभ चिंतक भला कौन हो सकता है हमारा ?

परीक्षा संसार की, प्रतीक्षा परमात्मा की, और समीक्षा अपनी करनी चाहिए। लेकिन हम, परीक्षा परमात्मा की, प्रतीक्षा सुख की, और समीक्षा दूसरों की करते हैं।

।। हे प्रभु ! सब को सद्बुद्धि और सदाचार प्रदान करें ।।



Sita-Ram marriage and Ram’s coronation were both done in auspicious time, yet neither the married life nor the coronation was successful. When Muni Vashishtha was asked to answer this, he clearly said-

Sunhu Bharat Bhavi Prabal, Bilkhi Kahehun Muninath. Profit and loss, life and death, fame and disgrace, method hands.

That is, what the law has determined will remain the same, neither Rama’s life can be changed, nor Krishna’s, nor Shiva’s can avert the death of Sati, while the Mrityunjaya mantra invokes them.

Even Ramakrishna Paramhans could not avoid his cancer, neither Ravana could change his life nor Kansa! While both had all the powers.

Man comes with his birth having already determined life, death, fame, loss, profit, loss, health, disease, body color, family, society, country. At the same time, it brings its special qualities, religion, nature and sanskars from the past.

So if you want change in your life, then change your actions. Both your soul and the divine are standing to help you. Call him That God is your true companion. Who can be our better wisher than the Supreme Father Supreme Soul?

The test of the world, the wait for God, and the review should be our own. But we test God, wait for happiness, and review others.

, Oh God ! Give wisdom and virtue to all.

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