*एक साधु देवरहा बाबा*

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एक साधु थे उत्तर प्रदेश में। उनको अनेक लोग मानते थे, बड़े-बड़े राजा महाराजा उनकी सेवा में जाते थे। किसी राजा ने बहुत से स्वर्ण-पात्र उनको भेंट कर दिए थे।

देवरहा बाबा उनका नाम था, पूरा का पूरा एक बड़ा बोरा भर कर भेज दिया। तो वहां तो झोपड़े में सांकल भी लगाने को नहीं थी। रात को एक चोर उसको उठाकर ले गया। तो देवरहा बाबा नंगे पड़े रहते थे उस झोपड़े में। उन्होंने अंधेरे में देखा कि कोई उठाने आया है तो उनको आंसू आ गए कि बेचारा इतनी रात आया, जरूर तकलीफ में होगा। वह पहली बात उनको जो खयाल में आयी, इतनी रात आया। अरे दिन में आ जाता! जरूर ज्यादा तकलीफ में होगा, नहीं तो कौन इतनी रात, ठंडी रात और इधर आना इसकी परेशानी, इस पहाड़ी को पार करना, पहाड़ी में आना! अंधेरे में डर भी लगा होगा, रास्ते में दिक्कत भी हो सकती है और यह बेचारा आया तो जरूर तकलीफ में है। वह बोरा था वजनी और वह आदमी था कमजोर। वह उसको उठाता था, पूरा उठता नहीं था। मोह था घना, छोड़ सकता था नहीं। तो उनको भारी कष्ट लगा कि यह बेचारा है कमजोर और बोरा है वजनी। उस राजा को मैं पहले ही कहा था कि थोड़े ही भेंट कर, इतना क्या करेगा। आधे बोरे भेंट किए होते तो यह उसे बड़ी आसानी से ले जाता। और इस मूर्ख को यह भी पता नहीं कि अपनी ताकत से ज्यादा काम नहीं करना। दुबारा आ जाना इतना क्या जल्दी है! उनको यह भी लगा कि इसको मैं उठाकर सहारा दे दूं। मगर यह कहीं चौंक न जाए, भाग न जाए इसलिए दिक्कत है। और किसी के काम में आपने को बाधा नहीं बनाना है, यह भी खयाल था। फिर भर जब उनसे नहीं सहा गया तो वे उठे, वह उसको पीछे से उठा रहा था। ऊपर से उन्होंने हाथ लगाया। उसको दरवाजे के बाहर पहुंचाया। बाहर जाकर कहा, भैया इससे आगे मैं नहीं जा सकता। अब तू ले जा लेकिन एक बात भर स्मरण रख। बोरा गिर पड़ा, जब उसने आवाज सुनी। अब वह हाथ जोड़कर खड़ा हो गया। उन्होंने कहा, एक बात भर स्मरण रख। हमेशा अपनी ताकत के हिसाब से काम करना। बोरा बड़ा है, ताकत तेरी कम है। थोड़ा दूध मलाई खा, ताकतवर बन, तब बड़े बोरे उठाया कर। अभी छोटे बारे उठाना। वह तो पैर पर गिर पड़ा वह तो बोरा चोरी नहीं गया। वह तो उनका भक्त हो गया। लेकिन वह घटना बड़ी महत्वपूर्ण है। उस आदमी को कैसा दिखेगा, उसका मूल्यांकन भिन्न है।
जिन लोगों ने महावीर को जाकर मारा होगा उनको क्या दिखा होगा? उनको दिखा होगा, ये बड़े उद्विग्न हैं, बड़े परेशान हैं, नहीं तो मुझे काहे को मारने आते। परेशानी है इसके भीतर कुछ, जो इनके मारने में प्रकट हो रही है। सिर्फ इस वजह से दया और करुणा भर आयी होगी। इस वजह से कोई दूसरा प्रश्न नहीं उठता। हमको लगता है, उन्होंने बड़ा कष्ट सहा। उनको लगा होगा, यह जो मारने आए, बड़े कष्ट में हैं।
यह तप का, कष्ट का और पीड़ा का और सहने का ये सारे शब्द.गलत है। मनुष्य को जो आनंदपूर्ण है उसके अनुसार व्यवहार करता है। हमको जो आनंदपूर्ण है हम उसको मानकर व्यवहार करते हैं। उनको जो आनंदपूर्ण है उसको मानकर व्यवहार करते हैं। और दोनों के आनंद के दृष्टि में जमीन आसमान का अंतर है। इसलिए जो हमको तप है, वह उनको आनंद है। और जो हमारे आनंद है, उनके लिए अज्ञान है। वह हम पर दया से भरे हुए हैं कि हम मूर्ख हैं, हम किन चीजों में अपने समय को खो रहे हैं। और हम उनके ऊपर श्रद्धा से भरे हुए है कि कितने महान हैं कि बड़ा त्याग कर रहे हैं।

ओशो – अमृत द्वार

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