*चिंता नहीं सदा प्रभु चिंतन करें*.

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सदैव अच्छे कर्म करना चाहिए, क्योंकि बुरे कर्म हजारो जन्मों तक भी पीछा नहीं छोड़ते हैं…..
सदियां गुजर गई लेकिन आज भी कोई माँ – बाप अपनी बेटी का नाम केकई और मंथरा नहीं रखते…..बुरे कर्मों के कारण ही होलिका और रावण आज भी जल रहे हैं
चिंता तो चिता है हर पल जलाती है*
चिंता नहीं सदा प्रभु चिंतन करें*.
इस संसार में हमारी क्या जरूरतें है वह परमपिता परमात्मा अच्छी तरह जानता है और वह हमारी जरूरतों को पूरा भी करता है क्या कभी हमने आकाश में उड़ने वाले पक्षियों को देखा है जो न कभी खेत जोतते है न बीज बोते हैं न ही फसल काटते है फिर भी वह परमपिता परमात्मा उन्हें भोजन देता है और वे भी इस संसार में जीवित है फिर आज हम अपनी रोजी रोटी की चिंता क्यों करते हैं? जिस परमात्मा ने हमारी रचना की है वह स्वयं ही हमारी रोज़ी रोटी का प्रबंध कर रहा है अगर एक किंडा पत्थर के अंदर जन्म लेता है तो परमात्मा उसी पत्थर में उसके भोजन का प्रबंध करता है परमात्मा जीव को इस संसार में भेजने से पहले उसकी प्राराब्ध निश्चित करताहै

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