“एकाग्रचित्त बनें”

एक आदमी को किसी ने सुझाव दिया, कि दूर से पानी लाते हो, क्यों नहीं अपने घर के पास ही एक कुआँ खोद लेते………?

हमेशा के लिए पानी की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा, सलाह मानकर उस आदमी ने कुआँ खोदना शुरू किया, लेकिन सात-आठ फीट खोदने के बाद भी, उसे पानी तो क्या गीली मिट्टी का भी चिह्न नहीं मिला………!

उसने वह जगह छोड़कर दूसरी जगह खुदाई शुरू करी, लेकिन दस फीट खोदने के बाद भी उसमें पानी नहीं निकला ! उसने तीसरी जगह कुआँ खोदा, लेकिन निराशा ही हाथ लगी………!

इस क्रम में उसने आठ-दस फीट के दस कुएं खोद डाले लेकिन पानी नहीं मिला ! वह निराश होकर उस आदमी के पास गया, जिसने कुआँ खोदने की सलाह दी थी……….!

उसे बताया कि ~ मैंने दस कुएं खोद डाले, पानी एक में भी नहीं निकला, उस व्यक्ति को आश्चर्य हुआ……..!

वह स्वयं चलकर उस स्थान पर आया, जहाँ दस गड्ढे खोदे गये थे ! उनकी गहराई देखकर वह समझ गया………!

बोला ~ दस कुएं खोदने की बजाए एक कुएं में ही तुम अपना सारा परिश्रम और पुरूषार्थ लगाते, तो पानी कब का मिल गया होता ! तुम सब गड्ढों को बंद कर दो, केवल एक को गहरा करते जाओ ! पानी निकल आएगा……..!

आज की स्थिति भी यही है ! आदमी हर काम को फटाफट करना चाहता है ! किसी के पास धैर्य नहीं है……….!

पचासों योजनाएं एक साथ चलाता है, और पूरी एक भी नहीं हो पाती……….!

सांसारिक काम को सफल बनाना हो, अथवा “परमात्मा” के भजन बन्दगी में तल्लीन होने का काम हो एकाग्रता, परिश्रम और धैर्य के बगैर संभव नहीं है……..!

🌹🪸 ‼️”राधे-राधे” ‼️🪸🌹

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