आज यमुना छठ को यमुना महारानी का प्राक्ट्य दिवस है। द्वापर युग में जब धरती पर प्रभु के प्राकट्य होने की तैयारी की ख़बर थी तो यमुना महारानी ने ठाकुर ગવ जी एवं उनके जीवों ग्वाल ,गोपियों,गायों को यमुना तट पर क्रीड़ाओं का आनंद तथा बृज भूमि को हरा भरा धनधान्य से भरपूर करने के लिये धरती पर आज के दिन ठाकुर जी के प्रकट होने के पूर्व स्वयं प्रकट हो कर बृज भूमि पर कृपा की।सृष्टि जीवों जैसे गाय वानर मोर मगर इत्यादि परमकृपालु ठाकुर जी के निकट उनके चरणकमल में रह कर अपनेआप को धन्य मान सके।ठाकुर जी के जीवों को यमुना महारानी ने अपने अत्यन्त मीठे और स्वच्छ स्वादिष्ट जलपान से पोषण किया।
यमुना महारानी की कृपा और यमुनापान से जीव ठाकुर जी के निकट रह शरणागत हुए। श्याम वर्ण का यमुना जल अत्यंत मीठा और स्वादिष्ट है की उस जल से पैदा होने वाली समस्त वनस्पति में वो मिठास एवं सुन्दरता दिखाई पड़ती है। हरा भरा गोवर्धन और अत्यन्त हरियाली ओढ़े बृज भूमि यमुना महारानी की ही कृपा है।यमुनाजी की कृपा से ही बृज की धरती इतनी हरी-भरी थी कि सर्वाधिक गौ वंश बृजभूमि में ही हुआ करता था जिसके फलस्वरूप दूध दही मक्खन से ठाकुर जी के दिन की शुरूआत और गौचारण से वापस लौटकर दिन पूरा होता था। दूध दही घृत से पूरे बृज का व्यापार चलता था जो यमुनाजी की कृपा से ही संभव हुआ।