प्रभु संकीर्तन 26

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हम समझते हैं हमने बहुत कुछ कर लिया है तब अभी हमने कुछ किया ही नहीं है जब तक यह भाव है मै कर रहा हूं तब तक कुछ नहीं किया जिस दिन मै मर जाती है तब करते हुए भी हम नहीं कर रहे हैं क्योंकि दिल प्रभु का बन जाता है तब सब कुछ प्रभु कर रहा है। हम कुछ नहीं करते हैं। विचार का बनना अपनी परख करना सत्य का मार्ग है। मनुष्य जन्म लेने का उद्देश्य क्या है।अपने अन्तर्मन मे परख करना ही सत्य है जय श्री राम अनीता गर्ग

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