श्री द्वारिकाधीश भाग – 5
उन्होंने कहा- ‘सब लोग अपने नेत्र बंद कर लें। तब तक बन्द रखें जब तक मेरा शंख नहीं बजता।’श्रीकृष्णचंद्र का
उन्होंने कहा- ‘सब लोग अपने नेत्र बंद कर लें। तब तक बन्द रखें जब तक मेरा शंख नहीं बजता।’श्रीकृष्णचंद्र का
आप सर्वज्ञ हैं और सर्वसमर्थ हैं’- ब्राह्मण ने कहा ‘मैं विदर्भराज-दुहिता का संदेशवाहक बनकर आया हूँ। उनके ही शब्दों में
श्री कृष्ण के सभी विरोधियों को मगध राज ने आमन्त्रित किया। दन्तवक्र का महामायावी पुत्र सुवक्र, पौण्ड्रक का पुत्र सुदेव,
अन्यमनोलग्ना कन्या को पाने में मेरा कोई उत्साह नहीं है’ -यह कथन कहकर श्रीकृष्णचन्द्र कुण्डिनपुर से यादव महारथियों के साथ
अकेली द्वारिका है जो मोक्षदायिनी सप्तपुरियों में भी है और धामों में भी है। धाम चार हैं, ये भारतवर्ष की