ब्रह्म,परमात्मा,ईश्वर,भगवान का सत्यस्वरूप
मैं तो जब इस क्षणभंगुर संसार में आया था,तब तो अबोध शिशु था परन्तु पूर्वाग्रहों मान्यताओं और धारणाओं के आधार
मैं तो जब इस क्षणभंगुर संसार में आया था,तब तो अबोध शिशु था परन्तु पूर्वाग्रहों मान्यताओं और धारणाओं के आधार
ॐ आध्यात्मिक दर्शन ॐॐ मैं और ज्ञाता ॐॐ इस मैं की खोज ॐज्ञाता:- पुनः पूछता है।हे मैं तुम कौन हो।मैं:-
मोक्ष सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक अवस्था है, जो जीवात्मा की मुक्ति या मुक्त हो जाने की ओर संकेत
ऐसे ही दो अनमोल शब्द है — ईश्वर और भगवान। शब्द-कोष में देखने जायेंगे , तो एक ही अर्थ मिलेगा
हम मानते हैं कि दुनिया में जो कुछ बाहर है वही सही है, लेकिन सच्चाई यह है कि जो अंतर्यात्र
अनेकों तरह से अनेक सम्पत्तियों की खोज में बाहर भटका। बाहरी खोज से उसे तृप्ति नहीं मिली । फिर स्वयं
आज का प्रभु संकीर्तन।संसार असत्य है,मृत्यु ही सत्य है।फिर भी मनुष्य इसे झुठलाकर वह सोचता है कि मैं कई जन्मों
साधु- साधना करने वाले व्यक्ति को साधु कहा जाता है। साधु होने के लिए विद्वान होने की जरूरत नहीं है
आज जाने ऋषि और मुनियों के बारे में – भारत में प्राचीन समय से ही ऋषि-मुनियों का विशेष महत्व रहा
लोग अक्सर मुझसे पूछते हैं कि बाबा,आप को जब देखें ठाकुर जी की लीलाओं मे मगन रहते हो।थोड़ा सा हमें