
परमात्मा का स्वरूप
परब्रह्म परमात्मा को हम सर्वशक्तिमान सर्व गुण समपन अनादि सत्य स्वरूप माने परमात्मा सृष्टि का रचियता पालन हार और संहारक
परब्रह्म परमात्मा को हम सर्वशक्तिमान सर्व गुण समपन अनादि सत्य स्वरूप माने परमात्मा सृष्टि का रचियता पालन हार और संहारक
हमे अंग संग खङे प्रभु भगवान श्री हरि की खोज करनी है। उस ज्योति में समाना है जो हमारे भीतर
वासुदेव सरवम भागवत गीता में आता है वासुदेव सरवम हम अध्यात्म की बात करते हैं तब भी वासुदेव सर्वम कहा
भगवान नाम जप से हमारे भीतर से धीरे धीरे संसार छुटने लगता है । हमे जब भी समय मिले चिन्तन
वह सत्य का सार है, और सभी सत्य का स्रोत है। “सत्य ही सनातन है सत्य ही ईश्वर है।” सत्य
वेद हर सृष्टि के आदि में चार ऋषियों के मन में स्वयं ईश्वर द्वारा प्रगट किये जाते हैं। और वेद
हम भगवान का नाम जप आसन पर बैठकर माला लेकर करते हैं। राम राम राम जपती रहती। जब भी समय
वैदिक जीवन केवल एक संस्कृति नहीं था- वह एक दिव्य विज्ञान था। वहाँ जीवन का प्रत्येक अंग प्रकृति और आत्मा
जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है। परमात्मा को साथ रखते हुए यदि हम किसी से प्रेम करते हैं
अगर कोई तीसरे,पाँचवे और सातवें आसमान तक पहुँच जाए,तो उसे ब्रह्मांड के सारे रहस्य मिल सकते हैं..!! लेकिन यह एक