
वैराग्य
वैराग्य शब्द संसार के कुछ ऐसे शब्दों में से एक हैं जिसकी व्याख्या का ना तो आदि है और ना

वैराग्य शब्द संसार के कुछ ऐसे शब्दों में से एक हैं जिसकी व्याख्या का ना तो आदि है और ना

बिनु पद चलइ सुनइ बिनु काना।कर बिनु करम करइ बिधि नाना॥आनन रहित सकल रस भोगी।बिनु बानी बकता बड़ जोगी॥ अर्थ

भगवान में दिल का रमना भक्ति है। हमारे अन्दर भगवान राम भगवान कृष्ण से मिलन की तीव्र इच्छा में भगवान

भगवान में दिल का रमना भक्ति है। हमारे अन्दर भगवान राम भगवान कृष्ण से मिलन की तीव्र इच्छा में

एक साधक आत्म चिन्तन करते हुए अपने आप से पुछता मै किस लिए आया हूं मेरे जीवन का क्या लक्ष्य

आत्मा का अपना कोई नहीं होता सम्बन्ध शरीर का है आत्मा का नहीं। यह मत सोचो कि तुम्हारी मृत्यु के

“जड़ स्थिर है तो जीवन स्थिर है और नींव मजबूत है तो आपका मकान , दुकान , ऑफिस , बड़ी

परमात्मा को प्रणाम है एक दीपक प्रज्वलित करके भगवान् को अन्तर मन से धन्यवाद करे कि हे भगवान् तुमने मुझे

हे भगवान नाथ, आज मैं तुम्हें कैसे नमन और वंदन करूं। आज ये दिल ठहर-ठहर कर भर आता है। ऐसे
ध्यान में परमात्मा के चिन्तन के अलावा कुछ भी नहीं है। भगवान को हम शरीर रूप से भजते भगवान को