
शरीर से मिली कुछ शिक्षा
मानव शरीर एक योनी है।ये शरीर परमात्मा को अत्यन्त प्रिय है।क्योंकिबाकी सभी योनियां सिर्फ एक ही कर्म करते हैं वो
मानव शरीर एक योनी है।ये शरीर परमात्मा को अत्यन्त प्रिय है।क्योंकिबाकी सभी योनियां सिर्फ एक ही कर्म करते हैं वो
“जी, मेरी बुद्धि वहाँ तक नहीं पहुँचती और मेरा मन इसकी धारणा नहीं कर सकता।”
“प्यारे राजकुमार ! तुम्हारी
हमारे अन्दर सब कुछ है। हम बाहर की दुनिया में खोए रहते हैं अपने नजरिए से अन्तर्मन में झांक कर
जय दुख देवता तु मुझे रूलाने आया है। मै तेरी क्या सेवा कर सकती हूँ। तु मन को रूला सकता
यह शरीर ही कोठरी हैं कोठरी को बाहर से नहीं अन्तर्मन से सजाना है। कोठरी में हर समय झाङु लगती
परमात्मा जी तुम मेरे दिल में आ गए। तुमने मुझे अद्भुत प्रेम दिया ।हे परम पिता परमात्मा जी ये प्रेम
परमात्मा जी तुम दिल में आ गए। मेरे प्रभु प्राण नाथ प्यारे की मै वन्दना करते करते मैं मै ना
शून्यता को प्राप्त करने के लिए हमे त्याग के मार्ग पर चलना है। सब भावो को हम त्याग दे।भक्त के
हम राम राम कृष्ण कृष्ण भजते है। हम स्तुति करते हुए इस मार्ग पर आ जाते हैं कि एक मिनट
मन्दिर में सगुण साकार की पुजा की जाती है, हम मन्दिर में जाकर सभी भगवान के सामने धुप दिपक जलाते