सत्य का दिपक
हम अपने घर को जीतेजी खुब चमका कर रखे। हमारे घर के कोने कोने में एक चमक हो हमारा घर
हम अपने घर को जीतेजी खुब चमका कर रखे। हमारे घर के कोने कोने में एक चमक हो हमारा घर
हमें सम्बन्ध और सम्बन्धी को समझना है सम्बन्धी हमारी आत्मा का है हम जीवन भर घर परिवार और समाज के
हम जीवन भर घर परिवार और समाज के साथ सम्बन्ध बनाते और निभाते हैं। प्रत्येक सम्बन्ध में प्रेम भाईचारे का
एक भक्त की भगवान से कैसे जुड़ता है। यह भक्त के जीवन की कथा है। भक्त के घर की दिवार
आज मैने मेरे स्वामी भगवान् नाथ श्री हरि से जिन्हें मैं हर क्षण हदय में बिठाकर नैनो को बन्द कर
हम पुरा जीवन किसी न किसी को पकड़ कर रखते और सोचते हैं अमुक सम्बन्ध अमुक रिस्तेदार हमें बहुत सुख
एक दिन एक भक्त के पेट में दर्द हो जाता है दर्द दो तीन दिन रहता है भक्त सोचता है
भगवान को याद करते हुए यह सोच सकते हैं। कि आज मेरे स्वामी भगवान् नाथ देखो मुस्करा रहे हैं। भगवान
एक दिन एक भक्त के पेट में दर्द हो जाता है दर्द दो तीन दिन रहता है भक्त सोचता है
जब प्रीति होगी तब हर क्षण भगवान के भाव मे रहेंगे। कुछ भी कार्य करते हुए भगवान भाव में