
अहम ब्रह्म अस्मि
एक साधक ध्यान में श्री हरि का आत्म चिन्तन करते हुए श्री राम, जय श्री राधे कृष्ण, जय श्री राधे
एक साधक ध्यान में श्री हरि का आत्म चिन्तन करते हुए श्री राम, जय श्री राधे कृष्ण, जय श्री राधे
भगवान ने हमें दो कान दिए हैं। हमे ग्रथ पढते हुए दोनों कान को सतर्क रखने होते है। एक कान
दिल पर पहरे लग नहीं सकते हैं। भाव से भक्त वृन्दावन में बिहारी जी के पास पहुंच जाता है। जब
हम समझते हैं हमने बहुत कुछ कर लिया है तब अभी हमने कुछ किया ही नहीं है जब तक यह
हम सुबह उठते ही भगवान को याद करते हैं घर के कार्य चल रहे हैं दिल कहता है कि जल्दी
हे प्रभु प्राण नाथ हे कृष्ण हे दीनानाथ मै तुम्हे एक ही विनती करती हूँ ।हे मेरे स्वामी भगवान् नाथ
जब देश संकट के बादल घीरे है तब माताओं और बहनों की प्रार्थनाओ में अपना परिवार और बच्चों से
मन को राम राम सुनाओ हम सोचते हैं कि मै राम को भजता हूँ राम मेरे सब काम कर देंगे
तुम्हे एक भक्त और एक सज्जन व्यक्ति से मिलन का भेद बताती हूँ। एक सज्जन जब अपने मित्र से रिश्तेदार
एक सच्चा भक्त जिसके दिल मे भगवान समा जाते हैं। वह सब कथा और पाठ को छोड़ देता है जिस