
अपने अन्दर की खोज
आज मैं अपने आपको ठोक ठोक कर देखना चाहती हूँ मुझमे क्या छिपा हुआ है मुझमे कुछ गुण भी है

आज मैं अपने आपको ठोक ठोक कर देखना चाहती हूँ मुझमे क्या छिपा हुआ है मुझमे कुछ गुण भी है

साधक अपने अन्दर स्थिरता कैसे देखता है साधक हर क्षण चोकना रहता है वह अपने अन्तर्मन के भाव पढते हुए

एक दिन साधक के हृदय में प्रशन उठता है आत्म बोध आत्मज्ञान क्या है , आत्म स्वरूप कैसे होता है।

आज का भगवद चिंतन।भगवान श्री कृष्ण भगवद गीता में कहते हैं कि इस भौतिक संसार के प्रत्येक पदार्थ में मैं

सांवरिया तेरी जोगन मै बन जाऊं जोगन बनकर वन वन डोलू, तेरे ही गुण गांऊ। नीज उर की कंपित वीणा

वेदों का सद् उपदेश हैवेदों का सद् उपदेश है, सुनलो ध्यान लगाय। भव बन्धन दुर होता है,आत्म के ज्ञान से,प्रभु

अन्तःकरण मे ज्ञान की ज्योति जगा कर देख। भीतर है सखा तेरा, जरा मन लगा के देख अन्तःकरण मे ज्ञान

अजब तेरी रघुराई गजब तेरी है मायाजीवन बीत गया तुझको ना समझ पायाअजब तेरी रघुराई गजब तेरी है माया पंचभूतो

मोहे प्रेम का अमृत पिला दो प्रभु जीवन नैया डगमग डोले, व्याकुल मनवा पी पी बोले । इस नैया को

परमात्मा को हम ग्रथों में ढुढते है मन्दिर और मुर्ति में ढुढते है। व्रत और त्योहार में ढुढते है।कथा पाठ