अनीता गर्ग (Anita Garg)

साधक स्थिर है

साधक अपने अन्दर स्थिरता कैसे देखता है साधक हर क्षण चोकना रहता है वह अपने अन्तर्मन के भाव पढते हुए

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आत्मा ईश्वर है

एक दिन साधक के हृदय में प्रशन उठता है आत्म बोध आत्मज्ञान क्या है , आत्म स्वरूप कैसे होता है।

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वेदों का सद् उपदेश है

वेदों का सद् उपदेश हैवेदों का सद् उपदेश है, सुनलो ध्यान लगाय। भव बन्धन दुर होता है,आत्म के ज्ञान से,प्रभु

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मन्दिर का महत्व

मन्दिर आत्मा के सम्बंध का केन्द्र है। मुर्ति आत्मा का प्रतिबिंब है। मुर्ति में भगवान हमें उसी रूप में दिखाई

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