अन्तर्मन के द्वार खटकाओ
भगवान को अन्तर्मन से चिन्तन मन्न करते रहे। भगवान के सामने मांगने के लिए हाथ नहीं फैलाओ। परमात्मा के चरणों
भगवान को अन्तर्मन से चिन्तन मन्न करते रहे। भगवान के सामने मांगने के लिए हाथ नहीं फैलाओ। परमात्मा के चरणों
एक भक्त भगवान से कैसे जुड़ता है। यह भक्त के जीवन की कथा है। भक्त के घर की दिवार पर
भगवान भक्त के साथ तभी जाते हैं जब भक्त रात दिन भगवान के दर्शन के लिए तङफता है। दिल का
परमेश्वर से मिलाप करने का मौका केवल मनुष्य-जन्म में ही मिलता है परमात्मा ने सिर्फ इन्सान को ही यह
भगवान से प्रार्थना करते हुए कहता है कि अहो आज मेरे प्रभु प्राण नाथ दिखाई क्यो नहीं देते हैं। भगवान्
परमात्मा को हम सुख में दुख में दोनों समय याद रखे।हम भगवान को दुख में तो बहुत भजते है। सुख
आत्म चिन्तन क्या है भगवान के एक भाव का चिन्तन करना।एक शब्द एक पंकती का अध्ययन करना उठते बैठते हुए
भगवान का नाम भजते रहो भगवान से प्रार्थना करते रहो मेरे प्रभु मेरे स्वामी मेरे भगवान हे बिहारी जी इस
हमारे दिल में तृष्णा बढे तो प्रभु प्राण नाथ से प्रेम की परमात्मा से मिलन की हो। परम पिता परमात्मा
भक्त भगवान का चिन्तन मनन करते हुए भगवान का बन जाना चाहता है। अपने इष्ट का ध्यान करना अपने भगवान