जीवन वृक्ष
जब हम पैदा हुए तब फुल की तरह खिले हुए थे मात पिता ने प्रेम की लोरी से पालन किया।
जब हम पैदा हुए तब फुल की तरह खिले हुए थे मात पिता ने प्रेम की लोरी से पालन किया।
आप छ महीने राम को भज कर देखो। मै लेखिका नहीं हूं मैंने बस मेरे अराध्य भगवान नाथ श्री राम
जिससे मनुष्यके मन को शान्तिमिले, वही सच्चा आध्यात्म है।आध्यात्म का अर्थ है अपनेभीतर के तत्व को जानना,मननकरना और दर्शन करना।आध्यात्म
भगवान की पूजा, नमन और वन्दन करते हैं।भगवान का सिमरण आरती करते हैं यह सब नित्य हम शरीर से करते
भगवान नाम की ध्वनि के उजागर करने के लिए हमे प्रातः काल जैसे ही नींद से जागे। ध्यान अन्तर्मन की
भगवान का नाम अन्तर्मन मे चल रहा है। भक्त भगवान को सांस से सिमरता हैं भक्त के दिल में इतनी
भक्त भगवान नाथ श्री हरि मे सिमट जाना चाहता है। दिल मे ठहर ठहर कर एक ही भाव उठता कैसे
भगवान नाम राम राम जय श्री राम जय श्री राम राम कृष्ण हरि। दीनबंधु दीनानाथ हे कृपा निधान मेरे कृष्ण
हम पुरा जीवन किसी न किसी को पकड़ कर रखते और सोचते हैं अमुक सम्बन्ध अमुक रिस्तेदार हमें बहुत सुख
भक्त जब भगवान नाथ की मन ही मन विनती स्तुति नमन वन्दन और नाम सिमरण करता है। तब भक्त जानता