
भगवान के भाव 2
सुक्ष्म तत्व में परमात्मा के चिन्तन के अलावा कुछ भी नहीं है। भगवान को हम शरीर रूप से भजते भगवान
सुक्ष्म तत्व में परमात्मा के चिन्तन के अलावा कुछ भी नहीं है। भगवान को हम शरीर रूप से भजते भगवान
हम शीश सबको नवाये पुजा किसी एक की दिन रात करे। अपना एक ही पार लगा देगा। रोज अनेक देवी
जंहा मै नहीं है जगत नहीं है शरीर नहीं है। चेतन आत्मा का अनुभव होने लगता है। आत्म आनंद का
मानव जीवन मे परम पिता परमात्मा का नाम और चिंतन एक ऐसा विस्वास है कि हम भगवान को भजते हुए
परमात्मा को जानने के लिए हर क्षण परमात्मा का बनना होता है। अहो वह कोन सी घङी होगी जब मेरे
हम भगवान् के नाम की माला फेरे, भागवत गीता, रामायण पढे मन्दिर में जाये और साथ में हमे जब भी
प्राणी के पास दिल और मन होता है। मन हर समय उठक पटक करता है। दिल मे प्रेम होता है।
हमारे धर्म में राम जी को कृष्ण जी भगवान है। हम भगवान् पर विश्वास करे तो भगवान् हमारी इच्छा होते
परम पिता परमात्मा को प्रणाम है। हे परमात्मा जी आज मेरा दिल बार-बार तुमसे ये पुकार कर रहा है कि
एक दीपक प्रज्वलित करके भगवान् को अन्तर मन से धन्यवाद करे कि हे भगवान् तुमने मुझे बना कर पृथ्वी पर