
अ मन तु अन्तर्मन में झांक कर देख
हमारे अन्दर सब कुछ है। हम बाहर की दुनिया में खोए रहते हैं अपने नजरिए से अन्तर्मन में झांक कर
हमारे अन्दर सब कुछ है। हम बाहर की दुनिया में खोए रहते हैं अपने नजरिए से अन्तर्मन में झांक कर
जय दुख देवता तु मुझे रूलाने आया है। मै तेरी क्या सेवा कर सकती हूँ। तु मन को रूला सकता
यह शरीर ही कोठरी हैं कोठरी को बाहर से नहीं अन्तर्मन से सजाना है। कोठरी में हर समय झाङु लगती
परमात्मा को प्रणाम है गुरु देव को प्रणाम प्रभु प्राण नाथ, आत्मसमर्पण, आत्म स्वरूप आत्म तत्व,आत्मा ईश्वर है विश्वात्मा ।चेतन
भगवान् देख मेरे पास तो एक ही दिल था वो मैंने तुम्हें दे दिया ।भगवान् मुझे भी दो तीन दिन
भगवान की सच्ची भक्ति के लिए हमे कहीं भी जाने की जरूरत नहीं है। कुछ ही समय भगवान का नाम
हे प्रभु प्राण नाथ हे परमात्मा मै तुम्हारे ह्दय के अन्दर में बैठ जाऊगी ।हे परमात्मा मैने तो अपना दिल
हम प्रतिदिन मन्दिर जाते और कहते हम मन्दिर में भगवान के दर्शन करने जाते हैं। हम भगवान की आरती करते
कर्म जीवन की सच्चाई है कर्म में भगवान छुपे बैठे हैं। कर्म करते हुए जितने हम भगवान के नजदीक है
परमात्मा जी तुम मेरे दिल में आ गए। तुमने मुझे अद्भुत प्रेम दिया ।हे परम पिता परमात्मा जी ये प्रेम