
जप, भक्ति और ईश्वर-दर्शन
क्या आपने कभी सोचा है कि लोग जन्म-जन्मांतर तक जप करते रहते हैं, फिर भी ईश्वर उनके समक्ष प्रकट क्यों

क्या आपने कभी सोचा है कि लोग जन्म-जन्मांतर तक जप करते रहते हैं, फिर भी ईश्वर उनके समक्ष प्रकट क्यों

भगवान राम के दर्शन कैसे हो। इस दिल में भी भगवान राम के दर्शन कर पाऊं, यह आत्मा की आवाज

हे परमात्मा जी मै कहती। भगवान् देख रहा है। मै जब भी घर में कार्य करती मेरा अन्तर्मन पुकारता भगवान्
मोहन शान्त भाव में बैठा हुआ है जगदीश उसमे कैसे विचार डालना चाहता है। जगदीश उसमे विचार की झलक एक

एक भक्त आत्मचिंतन करते हुए अपने आप से बात कर रहा है। देख जब तक शरीर में आत्मा है तब

महाकुंभ साधू संतो तपस्वी त्यागीयो का महा स्नान 13 जनवरी को चार पांच लाख साधु महाकुंभ में स्नान करेगें हम

हमारे जीवन का लक्ष्य जीवनकाल में अन्तर यात्रा को करना है। अन्तर यात्रा का अर्थ है अपने भीतर की यात्रा

सैर करन को चली गौरां जीनारद मुनि ने दी मती, कहे गौरां जी हमें सुना दो, अमर कथा शिव मेरे

हम जीवन में रस चाहते हैं रस हमारा स्वास्थ्य बनाता है रस हमारे जीवन का आधार स्तम्भ है। रस के

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