[136]”श्रीचैतन्य–चरितावली”
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्री रूप को प्रयाग में महाप्रभु के दर्शन देशे देशे दुराशाकवलितहृदयो निष्कृपाणां नराणांधावं
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्री रूप को प्रयाग में महाप्रभु के दर्शन देशे देशे दुराशाकवलितहृदयो निष्कृपाणां नराणांधावं
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामपठानों को प्रेम-दान और प्रयाग में प्रत्यागमन अब प्रभु की और उस राजकुमार
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्री वृन्दावन आदि तीर्थों के दर्शन क्वचिद्भृंगीगीतं क्वचिदनिलभंगीशिशिरताक्वचिद् वल्लीलास्यं क्वचिदमलमल्लीपरिमलः।क्वचिद् धाराशाली करकफलपालीरसभरोहृषीकाणां वृन्दं
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामपुरी में प्रत्यागमन और वृन्दावन की पुनः यात्रा गच्छन वृन्दावनं गौरो व्याघ्रेभैणखगान् वने।प्रेमोन्मत्तान्
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामरघुनाथदास जी को प्रभु के दर्शन कान्ताकटाक्षविशिखा न लुनन्ति यस्यचित्तं न निर्दहति कोपकृशानुतापः।कर्षन्ति
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्री रूप और सनातन महाधीरौ भक्तिवीरौ प्रेमपीयूषभाजनौ।भक्तिभावेन तौ वन्दे श्रीमद्रूपसनातनौ।। जिस मनुष्य के
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामजननी के दर्शन जननी जन्मभूमिश्च जाह्नवी च जनार्दन:।जनकः पंचमश्चैव जकाराः पंच दुर्लभाः।। नीलाचल
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामप्रभु के वृन्दावन जाने से भक्तों को विरह सज्जनसंगो मा भूद् यदि संगो
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामपुरी में गौड़ीय भक्तों का पुनरागमन अमृतं राजसम्मानममृतं क्षीरभोजनम्।अमृतं शिशिरे वह्निरमृतं प्रियदर्शनम्।। जो
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामविष्णुप्रिया जी को संन्यासी स्वामी के दर्शन पाणिग्राहस्य साध्वी स्त्री जीवतो वा मृतस्य