[97]”श्रीचैतन्य–चरितावली”
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामसार्वभौम भक्त बन गये भवापवर्गो भ्रमतो यदा भवे-ज्जनस्य तर्ह्मच्युत सत्समागम:।सत्संगमो यर्हि तदैव सद्गतौपरावरेशे
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामसार्वभौम भक्त बन गये भवापवर्गो भ्रमतो यदा भवे-ज्जनस्य तर्ह्मच्युत सत्समागम:।सत्संगमो यर्हि तदैव सद्गतौपरावरेशे
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामसार्वभौम और गोपीनाथाचार्य गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वर:।गुरु: साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नम:।। इसी संसार-सागर
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामआचार्य वासुदेव सार्वभौम वाग्वैखरी शब्दझरी शास्त्रव्याख्यानकौशलम् ।वैदुष्यं विदुषां तद्वद्भुक्तये न तु मुक्तये।। शास्त्रों
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्रीजगन्नाथ जी के दर्शन से मूर्छा तवास्मीति वदन् वाचा तथैव मनसा विदन्।तत्स्थानमश्रितस्तन्वा मोदते
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्रीभुवनेश्वर महादेव यौ तौ शंखकपालभूषितकरौ मालास्थिमालाधरौदेवौ द्वारवतीश्मशाननिलयौ नागारिगोवाहनौ।द्वित्र्यक्षौ बलिदक्षयज्ञमथनौ श्रीशैलजावल्लभौपापं वो हरतां सदा
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्रीसाक्षिगोपाल पद्भ्यां चलन् य: प्रतिमास्वरूपो।ब्रह्मण्यदेवो हि शताहगम्यम्।देशं ययौ विप्रकतेऽदभुतोऽयंतं साक्षिगोपालमहं नतोऽस्मि।। प्रात:काल उठकर
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्रीगोपीनाथ क्षीरचोर यस्मै दातुं चोरयन् क्षीरभाण्डंगोपीनाथ: क्षीरचोराभिधोऽभूत्।श्रीगोपाल: प्रादुरासीद् वश: सन्यत्प्रेम्णा तं माधवेन्द्रं नतोऽस्मि।।
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराममहाप्रभु का प्रेमोन्माद और नित्यानन्दजी द्वारा दण्ड–भंग पातालं वज्र याहि वासवपुरीमारोह मेरो: शिर:पारावारपरम्परास्तर
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामपुरी के पथ में मा याहीत्यपमंगलं वज्र सखे स्नेहेन हीनं वच-स्तिष्ठेति प्रभुता यथारुचि
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामपुरी-गमन के पूर्व श्रीकृष्णचरणाम्भोजं सत्यमेव विजानताम्।जगत् सत्यमसत्यं वा नेतरेति मतिर्मम ।। भगवान का