
[7]हनुमान जी की आत्मकथा
आज के विचार (मुझे श्रीराम से प्रेम हो गया – हनुमान) पुलकित तन मुख आव न वचना…( रामचरितमानस ) मुझे

आज के विचार (मुझे श्रीराम से प्रेम हो गया – हनुमान) पुलकित तन मुख आव न वचना…( रामचरितमानस ) मुझे

(गौरांगी के साथ “हनुमत्साधना” सम्बन्धी कुछ चर्चा…) महावीर विक्रम बजरंगी…(हनुमान चालीसा) हरि जी ! क्या लड़कियों कोउपासना करनी चाहिए ?

( जब मेरे आराध्य मेरे पास आये – हनुमान )भाग-10 पुनि प्रभु मोहि बिसारेहुँ, दीन बन्धु भगवान…(रामचरितमानस) ओह ! देखो

हनुमान जी को भगवान सदा अपने पास बैठाते है ; क्यों ? क्योंकि हनुमान जी ने तीन काम किये और

शंकर सुवन केसरी नन्दन…(हनुमान चालीसा) आपके जन्म के बारे में लोग कई बातें कहते हैं… कोई कहता है आपको अंजनी

अतुलित बल धामं हेम शैलावदेहम्…(श्री रामचरितमानस) रास्ते भर हनुमान जी को ही कहता रहा… उन्हें उनके श्री सीता राम जी

दीख जाइ उपबन बर सर बिगसित बहु कंज।मंदिर एक रुचिर तहँ बैठि नारि तप पुंज।। अर्थ-अंदर जाकर उन्होंने एक उत्तम

!! जय श्री राम !! धर्म की रक्षा के लिए भगवानों ने धरती पर अनके रूप लिए है. उन रूपों

परिवार के सभी आदरणीय भगत जनों एवम् मातृ शक्ति को जय राम जी की भगवान की कौन सी लीला में

पुराण की कथाहनुमानजी के श्वांस से सुन रामधुन, महादेव-पार्वती संग देवलोक उठा झूम रावण के वध के बाद अयोध्यापति श्रीराम