“गौरस बेचन हौं चली”
‘सखियों, कल चलोगी गोरस बेचने ?’– ललिता जीजी ने पूछा।हम सब जल भरने आयी थी। उधरसे बरसाने की सखियाँ भी
‘सखियों, कल चलोगी गोरस बेचने ?’– ललिता जीजी ने पूछा।हम सब जल भरने आयी थी। उधरसे बरसाने की सखियाँ भी
संकीर्तन और सत्संग मे जाने से फ़ायदा ही फ़ायदा होता है।कभी नुकसान नही होता।एक अँधा फूलों के बाग में चला
गौ लोक धाम में जब देवताओ ने भगवान श्री कृष्ण से पृथ्वी के उद्धार के करने को कहा तो भगवान
उत्तर :- गीता है श्रीकृष्ण,ज्ञान है श्रीराधे। वायु है श्रीकृष्ण,वेग है श्रीराधे। तन है श्रीकृष्ण,मन है श्रीराधे। ईत्र है श्रीकृष्ण,सुगंध
भक्तिरसामृतसिन्धु में भगवान् “श्री कृष्ण” के 64 गुण बताए गए हैं जो इस प्रकार हैं – (1) सम्पूर्ण शरीर का
श्री राधा कितना सुंदर भाव है प्रेम ॥संसार में प्रेम को सर्वाधिक मधुर भावना माना जाता है ॥ जबकी संसार
श्रीहरिः (ब्रह्म बिकानो प्रेमकी हाट) ‘ऐ इला! सुन तो।’ — धीमे स्वरमें श्यामसुंदरने कहा। उनकी बात सुन मैं समीप गयी,
बैठे घनश्याम सुन्दर खेवत हैं नाव । आज सखी नन्दलाल के संग खेलवे को दाव ।। पथिक हम खेवट तुम
श्रीहरिः उरहनो देन मिस गयी श्याम दरस को ‘श्याम सलिले यमुने ! यह श्याम रंग तुमने कहाँसे पाया ? कदाचित
भगवती पार्वती जी ने भगवान शंकर जी से पूछा…भगवान श्री कृष्ण के मनोहारी रूप की प्राप्ति कैसे हो सकती है:-