
हनुमानजी को समझे
अर्जुन कपिध्वज कहे जाते हैं। अर्जुन के झंडे पर हनुमान जी विराजते थे। अध्यात्मिक दृष्टि से विचार करने पर विदित
अर्जुन कपिध्वज कहे जाते हैं। अर्जुन के झंडे पर हनुमान जी विराजते थे। अध्यात्मिक दृष्टि से विचार करने पर विदित
सुन्दर प्रसंग है जो पूर्वानुराग की अद्भुत और सौंदर्यमयी अभिव्यक्ति है। इधर गुरू की आज्ञा से श्री राम पुष्प वाटिका
‘ज्ञान के द्वारा जिनकी चिज्जन्ग्रंथी कट गयी है, ऐसे आत्माराम मुनिगण भी भगवान् की निष्काम भक्ति किया करते हैं, क्योंकि
मात पिता के घर में सबकुछ बच्चों का है मात पिता का जीवन है बच्चे। बच्चे घर पर आते हैं
यह निश्चित हो गया की प्राण प्रतिष्ठा के बाद निश्चित ही ठाकुर जी विग्रह में आ जाते हैं। एक दिन
आधुनिक दौर में मन की शान्ति से बढ़कर इस दुनिया में कोई भी बड़ी दौलत नहीं है । आज इस
श्री कृष्ण नाम अनन्त सागर है।भगवान के पास दो शक्तियां हैं दोनों भगवान की हैं एक है माया और दूसरी
. ये उस समय की बात है जब लंका पर चढ़ाई करने के लिए पूरी वानर सेना सेतु निर्माण
जय श्री राम सर्वदेवोंमय: श्रीराम राम राम कहिये, सदा सुखी रहियेवृद्धि आस्तिक भाव की, शुभ मंगल संचार अभ्युदय सद्धर्म का
सम्भालो दास को दाता ,मेरी सुध क्यूं भुलाई है ।ना जाने आज क्यों फिर से,तुम्हारी याद आई है ।। नजर