प्रार्थनाएं प्रकट होने लगती 2
इस शरीर से ही हम परम तत्व परमात्मा तक पहुंचते हैं। अध्यात्म के मार्ग में करके देखने पर स्वयं ही
इस शरीर से ही हम परम तत्व परमात्मा तक पहुंचते हैं। अध्यात्म के मार्ग में करके देखने पर स्वयं ही
परमात्मा की प्रार्थना से बढ़कर जीवन में कोई काम हो नहीं सकता है। प्रार्थना के लिए धुप दीप से पुजा
ये तो प्रेम की बात है उधो, बंदगी तेरे बस की नहीं है।यहाँ सर देके होते है सौदेआशकी इतनी सस्ती
मुझे चर्नो से लगा लेमेरे श्याम मुरली वालेमेरे श्याम मुरली वालेमेरी साँस साँस मे तेराहै नाम मुरली वालेहै नाम मुरली
सुनो टेर मेरी, अहो कृष्ण प्यारेकनक पाट खोलो, हैं द्वारे पे आयेसुना है पतितों को पावन बनातेसुना है कि दुखियों
भगवन्नाम लेना जबसे शुरू किया, समझना चाहिये कि तभी से जीवन की असली शुरुआत हुई है। भगवन्नाम में ऐसी अलौकिक
आप किसी भी तरह परमात्मा का चिन्तन करे। मन न लगे तो परमात्मा का नाम माला लेकर करे। भजन कीर्तन
जब तें रामु ब्याहि घर आए।नित नव मंगल मोद बधाए। भुवन चारिदस भूधर भारी। सुकृत मेघ बरषहिं सुख बारी। रिधि
भक्त भगवान से इतनी गहराई से जुड़ जाता है कि उसे हर किरया को करते हुए ऎसा महसुस होने लगता
देदे थोडा प्यार मैया तेरा क्या घट जाएगा। देदे थोडा प्यार मैया तेरा क्या घट जाएगा, यह बालक भी तर