मीरा चरित भाग- 69
‘उसकी इच्छा के सामने सारे सिद्धांत और नियम धरे के धरे रह जाते हैं, थोथे हो जातें हैं।अत: केवल उसकी
‘उसकी इच्छा के सामने सारे सिद्धांत और नियम धरे के धरे रह जाते हैं, थोथे हो जातें हैं।अत: केवल उसकी
ऋषि कश्यप की पत्नी अदिति से जन्मे पुत्रों को आदित्य कहा गया है। ये ही १२ आदित्य हैं- अंशुमान, अर्यमन,
विक्रमादित्य का आक्रोश…… राणा विक्रमादित्य ने एक दिन बड़ी बहन उदयकुँवर बाईसा को बुला कहा- ‘जीजा ! भाभी म्हाँरा को
बैठे घनश्याम सुन्दर खेवत हैं नाव । आज सखी नन्दलाल के संग खेलवे को दाव ।। पथिक हम खेवट तुम
श्रीहरिः उरहनो देन मिस गयी श्याम दरस को ‘श्याम सलिले यमुने ! यह श्याम रंग तुमने कहाँसे पाया ? कदाचित
भोजराज की आँखों के चारो ओर गड्ढे पड़ गये थे।नाक ऊँची निकल आई थी।नाहर से खाली हाथ लड़ने वाला उनका
जय श्री राम जय जय राम महादेव जी को एक बार बिना कारण के किसी को प्रणाम करते देखकर पार्वती
दाझया ऊपर लूण लगायो हिवड़े करवत सारयो।मीरा के प्रभु गिरधर नागर हरि चरणा चित धारयो। ‘म्हें थारो कई बिगाड़यो रे
दुष्टों का विनाश करना और साधुओं का परित्राण करना तो उनके अवतार काल का गौण कार्य होता है।जिसके भ्रू- संकेत
भगवती पार्वती जी ने भगवान शंकर जी से पूछा…भगवान श्री कृष्ण के मनोहारी रूप की प्राप्ति कैसे हो सकती है:-