
शिव और शक्ति के अर्धनारीश्वर स्वरूप की महिमा
क्या हैं शिव और शक्ति के अर्धनारीश्वर स्वरूप की महिमा और क्या महत्व है -” प्रार्थना और प्रतीक्षा” का?PART-01कौन है
क्या हैं शिव और शक्ति के अर्धनारीश्वर स्वरूप की महिमा और क्या महत्व है -” प्रार्थना और प्रतीक्षा” का?PART-01कौन है
वेदसार शिवस्तव भगवान शिव की स्तुति है। जिसे भगवान शिव की प्रसन्नता हेतु आदिगुरु शंकराचार्य ने लिखा है। इस स्तुति
धन्य हैं वे गोपियां, रास के समय भगवान श्रीकृष्ण ने अपने चरणारविन्दों को जिनके वक्ष:स्थल पर रखा। ऐसा महाभाग्य अन्य
जीवन में सफलता की कुंजी है ‘सिद्ध कुंजिका’- दुर्गा सप्तशती में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक अत्यंत चमत्कारिक और तीव्र
वसुदेव-देवकी-नन्द-यशोदानन्ददायकम्।वन्दे योगीश्वरं कृष्णं गीतापीयूषदायकम्।।१।। कंस-कारागृहे जन्म यस्य बाल्यं च गोकुले।द्वारकायां कर्मयोगस्तं कृष्णं प्रणमाम्यहम्।।२।। पूतना-धेनुकादीन् यः कंस-प्रेरित-राक्षसान्।जघान लीलया वन्दे तमहं यदु-नन्दनम्।।३।।
दुर्गा सप्तशती में अर्गला स्तोत्र के बाद कीलक स्तोत्र के पाठ करने का विधान है। कीलक का अर्थ है कुंजी,
कस्तूरी कुंडल बसे, मृग ढूंढ़ै बन माहि।ऐसे घट-घट राम हैं, दुनिया देखे नाहि।। संत कबीर के इस दोहे का अर्थ
हे परमात्मा जी मै कहती। भगवान् देख रहा है। मै जब भीघर में कार्य करती मेरा अन्तर्मन पुकारता भगवान् देखरहा
।। ।। भगवान् शिव से बड़ा कोई भगवान विष्णु का भक्त नहीं और भगवान् विष्णु से बड़ा कोई शिव का
जथा अनेक बेष धरि नृत्य करइ नट कोइ।सोइ सोइ भाव देखावइ आपुन होइ न सोइ।। भावार्थ-जैसे कोई नट (खेल करने