भगवान (Bhagvan)

नीलकृत आञ्जनेयस्तोत्रम्

ॐ जय जय।श्रीआञ्जनेय।केसरीप्रियनन्दन।वायुकुमार।ईश्वरपुत्र।पार्वतीगर्भसम्भूत।वानरनायक।सकलवेदशास्त्रपारग।सञ्जीवनीपर्वतोत्पाटन।लक्ष्मणप्राणरक्षक।गुहप्राणदायक।सीतादुःखनिवारक।धान्यमाली शापविमोचन।दुर्दण्डीबन्धविमोचन।नीलमेघराज्यदायक।सुग्रीवराज्यदायक।भीमसेनाग्रज।धनञ्जयध्वजवाहन।कालनेमिसंहार।मैरावणमर्दन।वृत्रासुरभञ्जन।सप्तमन्त्रिसुतध्वंसन।इन्द्रजिद्वधकारण।अक्षकुमारसंहार।लङ्किणीभञ्जन।रावणमर्दन।कुम्भकर्णवधपरायण।जम्बुमालिनिषूदन।वालिनिबर्हण।राक्षसकुलदाहन।अशोकवनविदारण।लङ्कादाहक।शतमुखवधकारण।सप्तसागरवालसेतुबन्धन।निराकार-निर्गुण-सगुणस्वरूप।हेमवर्णपीताम्बरधर।सुवर्चलाप्राणनायक।त्रिंशत्कोट्यर्बुदरुद्रगणपोषक।भक्तपालनचतुर।कनककुण्डलाभरण।रत्नकिरीटहारनूपुरशोभित।रामभक्तितत्पर।हेमरम्भावनविहार वक्षताङ्कितमेघवाहक।नीलमेघश्याम।सूक्ष्मकाय।महाकाय।बालसूर्यग्रसन।ऋष्यमूकगिरिनिवासक।मेरुपीठकार्चन।द्वात्रिशदायुधधर।चित्रवर्ण।विचित्रसृष्टिनिर्माणकर्त्रे।अनन्तनाम।दशावतार।अघटनघटनासमर्थ।अनन्तब्रह्मन्।नायक।दुर्जनसंहार।सुजनरक्षक।देवेन्द्रवन्दित।सकललोकाराध्य।सत्यसङ्कल्प।भक्तसङ्कल्पपूरक।अतिसुकुमारदेह।अकर्दमविनोदलेपन।कोटिमन्मथाकार।रणकेलिमर्दन। विजृम्भमाणसकललोककुक्षिम्भर।सप्तकोटिमहामन्त्रतन्त्रस्वरूप।भूतप्रेतपिशाचशाकिनीडाकिनीविध्वंसन।शिवलिङ्गप्रतिष्ठापनकारण।दुष्कर्मविमोचन।दौर्भाग्यनाशन।ज्वरादिसकलरोगहर।भुक्तिमुक्तिदायक।कपटनाटकसूत्रधारिन्।तलाविनोदाङ्कित।कल्याणपरिपूर्ण।मङ्गलप्रद।गानलोल।गानप्रिय।अष्टाङ्गयोगनिपुण।सकलविद्यापारीण।आदिमध्यान्तरहित।यज्ञकर्त्रे।यज्ञभोक्त्रे।षण्मतवैभवसानुभूतिचतुर।सकललोकातीत।विश्वम्भर।विश्वमूर्ते।विश्वाकार।दयास्वरूप।दासजनहृदयकमलविहार।मनोवेगगमन।भावज्ञनिपुण।ऋषिगणगेय।भक्तमनोरथदायक।भक्तवत्सल।दीनपोषक।दीनमन्दार।सर्वस्वतन्त्र।शरणागतरक्षक।आर्तत्राणपरायण।एक असहायवीर।हनुमन् विजयीभव।दिग्विजयीभव।दिग्विजयीभव। ।। इति नीलकृतं श्रीआञ्जनेयस्तोत्रम् ।। Om Jai Jai. Sri Anjaneya. Kesaripriyanandana. Vayukumar.

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गोपेश्वर महादेव

एक बार शरद पूर्णिमा की शरत-उज्ज्वल चाँदनी में वंशीवट यमुना के किनारे श्याम सुंदर साक्षात मन्मथनाथ की वंशी बज उठी।

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मीरा चरित भाग- 39

मीरा की ‘दिखरावनी….. मेड़ता से गये पुरोहितजी के साथ चित्तौड़ के राजपुरोहित और उनकी पत्नी मीरा को देखने के लिये

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मीरा चरित भाग- 38

‘रावले छोटे भाई रतनसिंहजी की पुत्री के सम्बन्ध का प्रस्ताव लेकर वे श्रीजी के सम्मुख उपस्थित होंगे। सुना यह भी

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मीरा चरित भाग- 37

भोजराज की अंतर्वेदना और अंतर्द्वंद्व …. डेरे पर आकर वे कटे वृक्ष की भाँति पलंग पर जा गिरे। पर वहाँ

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मीरा चरित भाग- 35

उसने रैदासजी का इकतारा उठाया और गाने लगी- म्हारे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई।जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति

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मीरा चरित भाग- 36

ऐसी आशीष अब कभी मत दीजियेगा। आपके इस छोटे से भाई में इतना बड़ा आशीर्वाद झेलने का बल नहीं है।’कभी

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