[101]”श्रीचैतन्य–चरितावली”
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामदक्षिण यात्रा के प्रस्थान कथं ममाभून्न हि पुत्रशोक:कथं ममाभून्न हि देहपात:विलोक्यं युष्मच्चरणाब्जयुग्मंसोढुं न
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामदक्षिण यात्रा के प्रस्थान कथं ममाभून्न हि पुत्रशोक:कथं ममाभून्न हि देहपात:विलोक्यं युष्मच्चरणाब्जयुग्मंसोढुं न
जब भगवान स्त्री की रचना कर रहे थे तब उन्हें काफी समय लग गया। छठा दिन था और स्त्री की
एक बार एक गुरुदेव अपने शिष्य को अहंकार के ऊपर एक शिक्षाप्रद कहानी सुना रहे थे एक विशाल नदी जो
*प्रख्यात संत को उनके तीन जन्मों का दृश्य उनके गुरुदेव ने दिखाया उनमें से प्रथम थे सन्त कबीर, दूसरे समर्थ
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामदक्षिण यात्रा का विचार कति न विहितं स्तोत्रं काकु: कतीह न कल्पिताकति न
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामसार्वभौम का भक्तिभाव नौमि तं गौरचन्द्रं य: कुतर्ककर्कशाशयम्।सार्वभौमं सर्वभूमा भक्तिभूमानमाचरत्।। एक दिन भट्टाचार्य
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामसार्वभौम का भगवत-प्रसाद में विश्वास महाप्रसादे गोविन्दे नाम्नि ब्रह्मणि वैष्णवे।स्वल्पपुण्यवतां राजन विश्वासो नैव
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामसार्वभौम भक्त बन गये भवापवर्गो भ्रमतो यदा भवे-ज्जनस्य तर्ह्मच्युत सत्समागम:।सत्संगमो यर्हि तदैव सद्गतौपरावरेशे
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामसार्वभौम और गोपीनाथाचार्य गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वर:।गुरु: साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नम:।। इसी संसार-सागर
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामआचार्य वासुदेव सार्वभौम वाग्वैखरी शब्दझरी शास्त्रव्याख्यानकौशलम् ।वैदुष्यं विदुषां तद्वद्भुक्तये न तु मुक्तये।। शास्त्रों