[94]”श्रीचैतन्य–चरितावली”
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्रीजगन्नाथ जी के दर्शन से मूर्छा तवास्मीति वदन् वाचा तथैव मनसा विदन्।तत्स्थानमश्रितस्तन्वा मोदते
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्रीजगन्नाथ जी के दर्शन से मूर्छा तवास्मीति वदन् वाचा तथैव मनसा विदन्।तत्स्थानमश्रितस्तन्वा मोदते
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्रीभुवनेश्वर महादेव यौ तौ शंखकपालभूषितकरौ मालास्थिमालाधरौदेवौ द्वारवतीश्मशाननिलयौ नागारिगोवाहनौ।द्वित्र्यक्षौ बलिदक्षयज्ञमथनौ श्रीशैलजावल्लभौपापं वो हरतां सदा
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्रीसाक्षिगोपाल पद्भ्यां चलन् य: प्रतिमास्वरूपो।ब्रह्मण्यदेवो हि शताहगम्यम्।देशं ययौ विप्रकतेऽदभुतोऽयंतं साक्षिगोपालमहं नतोऽस्मि।। प्रात:काल उठकर
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्रीगोपीनाथ क्षीरचोर यस्मै दातुं चोरयन् क्षीरभाण्डंगोपीनाथ: क्षीरचोराभिधोऽभूत्।श्रीगोपाल: प्रादुरासीद् वश: सन्यत्प्रेम्णा तं माधवेन्द्रं नतोऽस्मि।।
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराममहाप्रभु का प्रेमोन्माद और नित्यानन्दजी द्वारा दण्ड–भंग पातालं वज्र याहि वासवपुरीमारोह मेरो: शिर:पारावारपरम्परास्तर
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामपुरी के पथ में मा याहीत्यपमंगलं वज्र सखे स्नेहेन हीनं वच-स्तिष्ठेति प्रभुता यथारुचि
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामपुरी-गमन के पूर्व श्रीकृष्णचरणाम्भोजं सत्यमेव विजानताम्।जगत् सत्यमसत्यं वा नेतरेति मतिर्मम ।। भगवान का
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामशचीमाता का संन्यासी पुत्र के प्रति मातृ-स्नेह शीलानि ते चन्दनशीतलानिश्रुतानि भूमितलविश्रुतानि।तथापि जीर्णों पितरावतस्मिन्विहाय
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराममाता को संन्यासी पुत्र के दर्शन यस्यास्ति वैष्णव: पुत्र: पुत्रिणी साभिधीयते।अवैष्णवपुत्रशता जननी शूकरीसमा।।
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामशान्तिपुर में अद्वैताचार्य के घर न्यासं विधायोत्प्रणयोऽथ गौरोवृन्दावन गन्तुमना भ्रमाद् य:।राढे़ भ्रमन् शान्तिपुरीमयित्वाललास