
मैं सत्य शिव सुन्दर हूँ
मैं सर्वव्यापिक निराकार अनंत अकथनीय अद्धितीय अतुलनीय अवर्णनीय अभूतपूर्व अनुपम हूँ मैं वात्सल्य में हूँ भातृत्व में हूँ भक्ति में

मैं सर्वव्यापिक निराकार अनंत अकथनीय अद्धितीय अतुलनीय अवर्णनीय अभूतपूर्व अनुपम हूँ मैं वात्सल्य में हूँ भातृत्व में हूँ भक्ति में

जब प्रीति होगी तब हर क्षण भगवान के भाव मे रहेंगे। कुछ भी कार्य करते हुए भगवान भाव में

‘हे भारत ! तू सर्वभाव से उस परमात्मा की शरण जा, उसकी कृपा से तू परम शान्ति को, अविनाशी स्थान

संसार में जो कुछ भी हो रहा है वह सब ईश्वरीय विधान है, हम और आप तो केवल निमित्त मात्र

परमात्मा की खोज पर निकलने में जो सबसे बड़ी बाधा है, वह मन का यह नियम है कि हमें उसका

श्री राधा विजयते नमः मैं जप करुंगी तो उनकी स्मृति मिल जायेगी,ध्यान करुंगी तो उनका रुप मेरे हृदय में आ

रूह को तो परम पिता परमात्मा का नाम चिंतन और वन्दन ही सजा सकता है। हमे परमात्मा के चिन्तन में

आधुनिक दौर में मन की शान्ति से बढ़कर इस दुनिया में कोई भी बड़ी दौलत नहीं है । आज इस

एक बार एक संत से किसी ने पूछा -कि वृद्ध व्यक्ति की सेवा करने का क्या महत्व है। संत ने

आज का प्रभु संकीर्तन।हे प्रभु! इस सृष्टि के आदि में भी तुम्हीं थे और सृष्टि का यदि किसी काल में