संघ किरण घर घर देने को
संघ किरण घर घर देने को अगणित नंदादीप जले, मौन तपस्वी साधक बन कर हिमगिरि सा चुपचाप गले, नई चेतना
संघ किरण घर घर देने को अगणित नंदादीप जले, मौन तपस्वी साधक बन कर हिमगिरि सा चुपचाप गले, नई चेतना
ये शहीदों की जय हिंद बोली, ऐसी वैसी ये बोली नहीं है, इनके माथे पे खून का है टीका, देखो
दे दी हमें आज़ादी बिना खडग बिना ढाल साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल आंधी में भी जलती रही
ढीली करो धनुष की डोरी,तरकस का कस खोलो.. किसने कहा युद्ध की बेला गयी,शांति से बोलो ? किसने कहा,और मत
जय भारती ! वन्दे भारती ! सर पे हिमालय का छत्र है, चरणों में नदियाँ एकत्र हैं, हाथों में वेदों
करोना जैसी महामारी से लड़ने में सहजोग करे, सोशल दुरी रखो बनाये घर में खुद को लॉक करो, परधानमंत्री के
जय जय महाराष्ट्र माझा, गर्जा महाराष्ट्र माझा, रेवा वरदा, कृष्ण कोयना, भद्रा गोदावरी, एकपणाचे भरती पाणी मातीच्या घागरी, भीमथडीच्या तट्टांना
जिस दिन सोया राष्ट्र जगेगा , दिस दिस फैला तमस हटेगा, भारत मानवता का नायक सदियों से था , युगों
वन्दे मातरम्। सुजलाम् सुफलाम् मलय़जशीतलाम्, शस्यश्यामलाम् मातरम्। वन्दे मातरम्।। १।। शुभ्रज्योत्स्ना पुलकितयामिनीम्, फुल्लकुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्, सुहासिनीम् सुमधुरभाषिणीम्, सुखदाम् वरदाम् मातरम्। वन्दे
सुन बेटा सुन मेरे लाड ले, माँ धरती का ऋण जरा बेटे तू चूका देना, भारत माँ की खातिर लहू