जब जब भी पुकारू माँ
जब जब भी पुकारू माँ तुम दौड़ी चली आना, एक पल भी नहीं रुकना मेरा मान बड़ा जाना, इस दुनियां
जब जब भी पुकारू माँ तुम दौड़ी चली आना, एक पल भी नहीं रुकना मेरा मान बड़ा जाना, इस दुनियां
हम सब आइली तोर दुअरिया, मैया ताको न हमरी ओरिया ॥ कोई ओसरा पखारे, कोई गहबर पखारे कोई पखारेला ॥,
शेरोवाली बुलालो हमे भी दवार आने के काबिल नही है, हम गुनाहागार है माफ कर दो सर उठाने के काबिल
अंबे मैया जी का द्वारा चार धामों से है न्यारा, इस सारे जहां में दूजा के मैया जैसा और नहीं,
और क्या माँगू मैं तुमसे माता, बस धूल चरण की चाहूँ, पल पल याद करूँ मैं तुमको, मैं हिरे रतन
जब जब भीड़ पड़ी है हम पर, तूने हमे संभाला है जब जब तेरा नाम लिया माँ, तेरा बुलावा आया
एक बार माँ आ जाओ फिर आके चली जाना, हमें दर्श दिखाओ दिखला के चली जाना, तुम को मेरे गीतों
नवरात्रि का छठा है यह माँ कात्यायनी रूप। कलयुग में शक्ति बनी दुर्गा मोक्ष स्वरूप॥ कात्यायन ऋषि पे किया माँ
मिल गया मिल गया शेरा वाली दा सहारा मिल गया, तुझे मिला मुझे मिला सब को मिला महारानी दा द्वारा
मैया करे मोबाइल फ़ोन भवन पे आ जा लांगुरिया, मैया करे मोबाइल फ़ोन… चिंतापुरनी मनसा देवी कालका फ़ोन लगाये, केला