
पौड़ी पौड़ी चढ़ता जा रे भक्ता
जितनी ऊंची चढ़ाई उतनी ही गहरी खाई, पर भगतो न गबरना है माँ की चिठ्ठी आई, डरने की क्या दरकार,
जितनी ऊंची चढ़ाई उतनी ही गहरी खाई, पर भगतो न गबरना है माँ की चिठ्ठी आई, डरने की क्या दरकार,
मोतियन चौक पुरायों मोरी माई री मैया मोरे अंगना में अइयो, चंदन को री पलना बनवायों , नित नित झूला
मैं बेटी हु तू है माता रहे अटल सदा ये नाता, ये रिश्ता कभी न टूटे कभी न तेरा दर
सामने आ गया माँ का मंदिर, हर कदम पर सम्बलना पड़े गा, ये जमीन पाक है स्वर्ग से भी सिर
जिन्ना तेरे जागेया च मैं जागेया, चन्न कोलो पूछ लै तारेया तो पूछ लै, जिन्ना मैं दीवाना माए तेरे नाम
नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम:। नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियता:प्रणता:स्म ताम् ॥ तामग्निवर्णाम् तपसा ज्वलंतीम् वैरोचनी कर्मफलेषु जुष्टाम्। दुर्गादेवीं शरणम्
जयति जय माँ जय सरस्वती जयति वीणा धारिणी माँ ॥ जयति जय पद्मासन माता जयति शुभ वरदायिनी माँ ।
हम धाम वैष्णो जावेगे दुर्गे माँ ने मनावे गे, नवरातो का लग रहा मेला धाम मईया का अलबेला, जाके दर्शन
मेरा पावन हो गया आंगणा, मेरी माता रानी आई आज, छमा छम नाचू आंगणा गंगा जल लेके आजा रे सजाना,
जगराता शेरांवाली का लगता बड़ा सुहाना। नाच रहा हर कोई हो के भक्ति में दीवाना॥ झाँझ-मँजीरे बाज रहे हैं, जगमग