
प्रभु राम की महीमा को हनुमान ने जाना
प्रभु राम की महीमा को हनुमान ने जाना है ये राम का सेवक है, यह राम दीवाना है प्रभु राम
प्रभु राम की महीमा को हनुमान ने जाना है ये राम का सेवक है, यह राम दीवाना है प्रभु राम
सिंधु-तरन, सिय-सोच-हरन, रबि-बाल-बरन तनु भुज बिसाल, मूरति कराल कालहुको काल जनुगहन-दहन-निरदहन लंक निःसंक, बंक-भुव । जातुधान-बलवान-मान-मद-दवन पवनसुव ।।कह तुलसिदास सेवत
मैं माला फेरू रे बजरंगी थारे नाम की।मैं माला फेरू रे बजरंगी थारे नाम की। बजरंगी थारे नाम की, बाला
यह हनुमान तांडव स्तोत्र सावधानी से पढ़ना चाहिए। इसके पढ़ने से हर तरह के संकट, रोग, शोक आदि सभी तत्काल
सुरज नहीं निकलेगा ओ हनुमानासंकट में पति प्राण है मानाकहे उर्मिला ना घबरानाजब तक बुटी ना पहुंचेगीसुरज नहीं निकलेगा ओ
।। जय जय जय बजरंगबली ।। मंगल-मूरति मारुत-नंदन।सकल-अमंगल-मूल-निकंदन। पवनतनय संतन-हितकारी।हृदय बिराजत अवध-बिहारी।। मातु-पिता, गुरु, गनपति, सारद।सिवा-समेत संभु, सुक, नारद।। चरन
भगवान राम को एक भक्त कैसे निहारता है। यह मेरे जीवन का सत्य हैहनुमान जी के ह्दय में राम बैठे
भक्त और भगवान का, नाता है बेजोड़एक बार जिसका जुड़ा, अमर हुआ वह जोड़ भक्त बने हनुमान जी, हदय बसे
मंगल मूरति राम दुलारे,आन पड़ा अब तेरे द्वारे,हे बजरंगबली हनुमान।हे महावीर करो कल्यान। हे महावीर करो कल्यान।। तीनो लोक तेरा
विनती सुन लो मारुती नंदनकाटो मेरे दुःख के बंधन ….हे महावीर बजरंगबलीतुम्हे सब कहते है दुःख भंजन…. चरण शरण में