
मोहन क्या अपराध हमारा जो इतना तुम सताते हो
मोहन क्या अपराध हमारा जो इतना तुम सताते होअपनी इक झलक के लिए जन्मो से हमे तड़पाते होबंसी की मधुर
मोहन क्या अपराध हमारा जो इतना तुम सताते होअपनी इक झलक के लिए जन्मो से हमे तड़पाते होबंसी की मधुर
श्रीराधावल्लभ लालजू के पाटोत्सव की बधाई आजु बधाई सबनु सुहाई श्रीहरिवंश सुधाम ।प्रगट भये श्रीराधावल्लभ रसिक जनन विश्राम ।।कार्तिक सुदि
आपके श्री चरणों में उमर कट जाए सारी,जिधर भी देखु दिखे युगल छवि श्याम तुम्हारी, श्याम तुम स्वामी मेरे स्वामिनी
उनको चाहा, उसकी करते हैं प्रियतम खुद चाह।जो आहें भरता है, उसके लिये स्वयं वे भरते आह॥ जिसको क्षणभर प्रिय-वियोगमें
कन्हैया को इक दिन मै रो के पुकारा कन्हैया को एक रोज रोकर पुकारा,कहा उनसे जैसा हूँ अब हूँ तुम्हारा।वे
अनुपम माधुरी जोड़ी हमारे श्याम श्यामा की।रसीली रसभरी अखियां हमारे श्याम श्यामा की।।कटीली भौं अदा बाकी, सुघर सुंदर मधुर बतियां।लटक
नाव भी तू मेरी तू ही मेरी पतवार भी है,तू ही माझी है मेरा तू ही मझधार भी है, क्यों
मन मोहन रूप तुम्हारा, ह्रदय बीच बसाऊ, दो मुझको इतना ज्ञान, ध्यान आराधन की शक्ति, छूकर तुमको पावन बन जाऊं,
श्री कृष्णःशरणं मम‼जय श्रीकृष्ण ‼श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,हे नाथ नारायण वासुदेवाय !!!!! Զเधॆ Զเधॆ !! हे नाथ!मुझमें शबरी जैसा धैर्य
निभाया आज तक है आज भी भगवन! निभाओ तुमहुई है सांझ जीवन की, न अब देरी लगाओ तुमतुम्हारे दर्शनों की