
उनको चाहा, उसकी करते हैं प्रियतम खुद चाह।
उनको चाहा, उसकी करते हैं प्रियतम खुद चाह।जो आहें भरता है, उसके लिये स्वयं वे भरते आह॥ जिसको क्षणभर प्रिय-वियोगमें

उनको चाहा, उसकी करते हैं प्रियतम खुद चाह।जो आहें भरता है, उसके लिये स्वयं वे भरते आह॥ जिसको क्षणभर प्रिय-वियोगमें

कन्हैया को इक दिन मै रो के पुकारा कन्हैया को एक रोज रोकर पुकारा,कहा उनसे जैसा हूँ अब हूँ तुम्हारा।वे

अनुपम माधुरी जोड़ी हमारे श्याम श्यामा की।रसीली रसभरी अखियां हमारे श्याम श्यामा की।।कटीली भौं अदा बाकी, सुघर सुंदर मधुर बतियां।लटक

नाव भी तू मेरी तू ही मेरी पतवार भी है,तू ही माझी है मेरा तू ही मझधार भी है, क्यों
मन मोहन रूप तुम्हारा, ह्रदय बीच बसाऊ, दो मुझको इतना ज्ञान, ध्यान आराधन की शक्ति, छूकर तुमको पावन बन जाऊं,

श्री कृष्णःशरणं मम‼जय श्रीकृष्ण ‼श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,हे नाथ नारायण वासुदेवाय !!!!! Զเधॆ Զเधॆ !! हे नाथ!मुझमें शबरी जैसा धैर्य

निभाया आज तक है आज भी भगवन! निभाओ तुमहुई है सांझ जीवन की, न अब देरी लगाओ तुमतुम्हारे दर्शनों की

मेरे प्यारेहम तो तेरी सिर्फ आंखों पे फिदा थेतुझसे मिलके ये रूह भी तेरी हो गईमेरी रूह में समाई है

राधे राधे बोलिये , मिले श्याम का साथ।भक्तो के सर पर रखते,अपने वो दोनों हाथ।राधे राधे बोलिए मिले श्याम

श्री वल्लभ केशव मिलें कब श्रीवल्लभ के प्यारे।।जिनके हाव भाव प्रीती रस, तिहु लोक ते न्यारे ।।कृपा समुद्र भरे अंग