
बांसुरी बजाय तुम व्रज बस कीन्हों।
बांसुरी बजाय तुम व्रज बस कीन्हों।तोहि बस करिबे को बांसुरी बजाइहौं।। भगवान ने देखा, मुरली नहीं है। समझ गये श्री
बांसुरी बजाय तुम व्रज बस कीन्हों।तोहि बस करिबे को बांसुरी बजाइहौं।। भगवान ने देखा, मुरली नहीं है। समझ गये श्री
Sri krishna janmaashtami kiHardik badhai.Sri radhey jiप्रेम का सागर लिखूं!या चेतना का चिंतन लिखूं!प्रीति की गागर लिखूं,या आत्मा का मंथन
कंचन पिचकारी लाई , सावरिया सरकारहोली खेलन को गए , राधा जी के द्वारधूम मचाने रंग बरसाने , आये तेरे
जरा सिर को झुकाओ वासुदेव जी,तेरे सिर पे त्रिलौकी नाथ हैं, छुंऊ इनके चरण बङे प्रेम से, आज यमुना की
ब्रज में है रही जय जयकार,नंद घर लाला जायो है।लाला जायो है जसोदा ने लाला जायो हैब्रज में है रही
आयो श्याम , सखियों ने गाए मल्हार रसिया, बलिहार रसिया दिलदार रसिया, तेरे झूले पे जाऊं बलिहार रसिया 2) मोर
एक बार की बात है कि, सावन के इसी पुनीत महीने में प्रिया राधा जी, प्रिय श्यामसुन्दर से रूठ जाती
सावन का महीना घटाए घनघोर बागों में झूले पड़ गए, झूले राधा नंद किशोर। प्रेम हिंडोले बैठी राधा प्यारी, झोटा
श्री गोपांगनाओं का आज का उल्लास जय जय श्री राधेमेरे गिनियो ना अपराध, लाड़ली श्री राधे, मेरे क्षमा करो अपराध
प्रेम में डूबा हुआ हृदय उतना ही पवित्र है जितना की गंगाजल में डूबा हुआ कलश
एक बांसुरी