
आ श्यामा तेरे ते रंग पावां,
आ श्यामा तेरे ते रंग पावां,होलीयां दा बदला मैं अज्ज लावां। बंसी मधुर बजा जाना,गीता ज्ञान सूना जाना।चरण तेरे तो
आ श्यामा तेरे ते रंग पावां,होलीयां दा बदला मैं अज्ज लावां। बंसी मधुर बजा जाना,गीता ज्ञान सूना जाना।चरण तेरे तो
मुझे अपने ही रंग में रंगले , मेरे यार साँवरे।मेरे यार साँवरे, दिलदार साँवरे ऐसा रंग तू रंग दे सांवरिया,
होरी खेलन पधारो वृन्दावन में होरी खेलन पधारो वृन्दावन में।।श्यामा खेलन पधारो वृन्दावन में।राधे खेलन पधारो वृन्दावन में।। वृन्दावन में,
केसर रंग से पिचकारी भर केसर रंग से पिचकारी भर लाई, पिचकारी भर लाई मैं तो सांवरे के संग होरी
ठाकुरजी की ये लीला बडी ही मनमोहक है। नंदलाल ने सुबह ही टेरकंदब पर अपने सभी मित्रों को बुलाया और
ऋतु बसन्ती गूँजे रे कोयलियापहनूँ न प्रियतम आज पायलियाहर घुंघरू ने तेरी याद दिलाईबिरहन रोये……… बिरहन रोये आओ रे कन्हाईप्रियतम
हरी बोल, हरी बोल, हरी हरी बोल केशव माधव गोविन्द बोल॥ नाम प्रभु का है सुखकारी,पाप काटेंगे क्षण में भारी।
कान्हा तोरी सांवली सुरतिया पे वारी सखी री मैं तो कारे रंग पे वारी वारी रे वारी रे मैं तो
सनेही एक विहारी-विहारिनि।एक प्रेम रुचि रचे परस्पर, अद्भुत भाँति निहारिनि॥तन सौं तन, मन सौं मन, अरुझ्यौ, अरुझनि वारनि-हारनि।यह छबि देखत
नैनन में श्याम समाए गयो,मोहे प्रेम का रोग लगाए गयो ।लुट जाउंगी श्याम तेरी लटकन पे,बिक जाउंगी लाल तेरी मटकन