मुझे दे दर्शन गिरधारी रे,तेरी सांवरी सूरत पे मैं वारि रे॥
मुझे दे दर्शन गिरधारी रे,तेरी सांवरी सूरत पे मैं वारि रे॥ जमुना तट हरी धेनु चरावे,,,मधुर मधुर स्वर वेणु बजावे॥तेरी
मुझे दे दर्शन गिरधारी रे,तेरी सांवरी सूरत पे मैं वारि रे॥ जमुना तट हरी धेनु चरावे,,,मधुर मधुर स्वर वेणु बजावे॥तेरी
ओ हरि जी, चरन कमल बलिहारी ओ हरि जीजेहि चरनन से सुरसरि निकली,सारे जगत को तारी ।जेहि चरनन से तरी
उधो रे हम प्रेम दीवानी हैं,वो प्रेम दीवाना।ऐ उधो हमें ज्ञानकी पोथी ना सुनाना॥ तन मन जीवन श्याम का,श्याम हम्मर
होली खेलन आयो श्याम आज याहि रंग में बोरो री, कोरे-कोरे कलश मँगाओ, रंग केसर को घोरो री, मुख ते
नवल वसंत नवल वृंदावन खेलत नवल गोवर्धनधारी ।हलधर नवल नवल ब्रजबालक नवल नवल बनी गोकुल नारी ।।नवल जमुनातट नवल विमलजल
श्री गोविंद देव जू प्राकट्य उत्सव विशेष श्री कृष्ण एक ग्वाल बालक के रूप में गए तथा रूप गोस्वामी से
हे कृष्ण, तुम प्रेम का अध्याय हो,हर प्रीत का पर्याय हो,हर गीत का अभिप्राय होअन्याय में तुम न्याय हो हर
मोर मुकुट माथे पे सोहे,रूप मनोहर मन को मोहे |कान्हा तेरा रूप निराला,मीरा पीती रस का प्याला || बनी बावरी
कऊसिनी मार दियो री टोना मन मोरा मचले श्याम सलोना, सांवले सलोने सुंदर श्याम श्याम श्याम केहि बिधि भये कहो
काला काला करे गुजरीमत काले का जिक्र करैकाले रंग पे मोरनी रुदन करैकाला काला करे गुजरी मोटे मोटे नैन राधा