
होली खेले चांदनी रात कान्हा बरसाने मैं आइयो
होली खेले चांदनी रात कान्हा बरसाने मैं आइये,बरसाने मैं आइये कान्हा बरसाने मैं आइये……. कोठे बढ़ के बाट निहारूं तेरे

होली खेले चांदनी रात कान्हा बरसाने मैं आइये,बरसाने मैं आइये कान्हा बरसाने मैं आइये……. कोठे बढ़ के बाट निहारूं तेरे

अज शाम दे नाल होली खेलागेहोली खेलागे जय हो होली खेलागे बरसाने आए मुरार होली खेलागेअज रेगा दे नाल होली

श्याम से श्यामा बोली,चलो खेलेंगे होली।श्याम से श्यामा बोली,चलो खेलेंगे होली॥बाग़ है यह अलबेला,लगा कुंजो में मेला।हर कोई नाचे गाये,रहे

होली खेलन को श्याम आयो रे वृन्दावन में,वृन्दावन में हां वृन्दावन में,रंग डालन को श्याम आयो रे वृन्दावन में भर

होली खेल रहे नन्दलाल,वृन्दावन की कुंज गलिन में।वृन्दावन की कुंज गलिन में,वृन्दावन की कुंज गलिन में॥ संग सखा श्याम के

कान्हा रे थोडा सा प्यार दे,चरणों में बैठा के तार देओ गोरी, घूंघट उतर दे,प्रेम की भिक्षा झोली में दार

आ श्यामा तेरे ते रंग पावां,होलीयां दा बदला मैं अज्ज लावां। बंसी मधुर बजा जाना,गीता ज्ञान सूना जाना।चरण तेरे तो

मुझे अपने ही रंग में रंगले , मेरे यार साँवरे।मेरे यार साँवरे, दिलदार साँवरे ऐसा रंग तू रंग दे सांवरिया,

होरी खेलन पधारो वृन्दावन में होरी खेलन पधारो वृन्दावन में।।श्यामा खेलन पधारो वृन्दावन में।राधे खेलन पधारो वृन्दावन में।। वृन्दावन में,

केसर रंग से पिचकारी भर केसर रंग से पिचकारी भर लाई, पिचकारी भर लाई मैं तो सांवरे के संग होरी