
कान्हा तेरा रूप निराला,
मोर मुकुट माथे पे सोहे,रूप मनोहर मन को मोहे |कान्हा तेरा रूप निराला,मीरा पीती रस का प्याला || बनी बावरी
मोर मुकुट माथे पे सोहे,रूप मनोहर मन को मोहे |कान्हा तेरा रूप निराला,मीरा पीती रस का प्याला || बनी बावरी
कऊसिनी मार दियो री टोना मन मोरा मचले श्याम सलोना, सांवले सलोने सुंदर श्याम श्याम श्याम केहि बिधि भये कहो
काला काला करे गुजरीमत काले का जिक्र करैकाले रंग पे मोरनी रुदन करैकाला काला करे गुजरी मोटे मोटे नैन राधा
हरे कृष्ण प्रभु हरे राम का,किरतन जब हम गाते हैं। वृन्दावन की कुञ्ज गलिन में,हरि दर्शन हम पाते हैं।।
दिव्य दम्पति की आरती उतारो हे अलीलाला नंद जू को छौना वृषभानु की ललीदिव्य दम्पति की आरती उतारो हे अलीपद
बांके बिहारी ने लूट लिया मन मोरा । लिख दिया नाम अपना, कही का अब न छोड़ा ।। बांके बिहारी
मेरे बांके बिहारी जी,दर्शन दो अब दर्शन दो.मेरे गिरवरधारी जीदर्शन दो अब दर्शन दो मै जन्मों प्यासी हूं ,तेरे द्वार
प्रभाते भजन नटवर नागर नंदा,भजो रे मन गोविंदाशयाम सुंदर मुख चंदा,भजो रे मन गोविंदानटवर नागर नंदा… तू ही नटवरतू ही
मोहन क्या अपराध हमारा जो इतना तुम सताते होअपनी इक झलक के लिए जन्मो से हमे तड़पाते होबंसी की मधुर
श्रीराधावल्लभ लालजू के पाटोत्सव की बधाई आजु बधाई सबनु सुहाई श्रीहरिवंश सुधाम ।प्रगट भये श्रीराधावल्लभ रसिक जनन विश्राम ।।कार्तिक सुदि