
दस मेरे मालका
दस मेरे मालका कोई एहो जेहि था, बेठी तने जिथे तेरा भजन करा ।॥ जिथे कोई दुनिया दा शोर ना

दस मेरे मालका कोई एहो जेहि था, बेठी तने जिथे तेरा भजन करा ।॥ जिथे कोई दुनिया दा शोर ना

वैष्णव जन तो तेने कहिये जे, पीड़ पराई जाने रे | पर दुख्खे उपकार करे तोये, मन अभिमान न आने

अँखियो में नमि सी हो दिल बैठा हो हार के, जब कुछ न नजर आये, मुझे तू ही नजर आये,

कोई पंहुचा दो सन्देश मेरा, मन लगता नहीं गुरु जी तुम बिन इक दिन, आँखों में आंसू आते है, अब

अंतरयामी नू दसा कि हाल दिल दा, गुरु जी प्यारे नु दसा की हाल दिल दा, मेथो वध एहनु पता

गुरु चरना विच रह के कसमा खावागे दिन होवे या रात हरि गुण गावागे छोटा सा सागर है भरनी असा

भरोसे आपके चाले जी, सतगुरू मारी नाव, सतगुरू मारी नाव, दाता सतगुरू मारी नाव, भरोसे आपके चले जी, सतगुरू मारी

सत्संग है ज्ञान सरोवर, सुखो की खान बन्दे, सत्संग से ही मिल जाते, सचमुच भगवन बन्दे, सत्संग है ज्ञान सरोवर,

तान तकड़ी ते मन वन्जारा, जी सोधा करी सोच सोच के, इस तान दे ने नौ दरवाजे, दसवा ठाकुर द्वारा

तुम्हारे भवन में ज्योत जागे, ज्योत जागे मेरे पाप भागे अन्दन मंगल होये जी, भरमा जी वेद जपा है तेरे