
माँ तुम आओ सिंह की सवार बनकर
माँ तुम आओ सिंह की सवार बनकर माँ तुम आओ रंगो की फुहार बनकर माँ तुम आओ पुष्पों की बहार

माँ तुम आओ सिंह की सवार बनकर माँ तुम आओ रंगो की फुहार बनकर माँ तुम आओ पुष्पों की बहार

जगदम्बे भवानी मैया तेरा त्रिभुवन में छाया राज है, सोहे वेश कसुमल निको तेरे रत्नो का सिर पे ताज है

चूम कर फाँसी के फंदे को, कह गए अमर वाणी, इंकलाब जिन्दाबाद की, लिख गए अमर कहानी, वतन के वास्ते

जहा हुए बलिदान मुखर्जी जी वो कश्मीर हमारा है, नहीं थोड़ा काम और ज्यादा वो सारा सारा हमारा है, तिरंगा

तेरी आरती उतारू रूप तेरा निहारु, तेरे चरणों की धूल मेरा चन्दन है, आया १५ अगस्त दिन ये पावन माँ

मैं धनुष बाण श्री राम से लेकर चक्र कनैया से लूंगा, अब सीमा पर जाकर मैं दुश्मन से टक्कर लूंगा,

जागो तो एक बार हिंदु जागो तो जागे थे प्रताप शिवाजी मार भगाये मुल्ला काझी मच गयी हा हा कार

भर जाती सब की झोली माँ के दरबार में, मेरी माँ से बढ़ कर दूजा न कोई संसार में, माँ

कौन आ गया नि आज मइयां दा सुनेहा ले के, कौन आ गया नि आज कौन आ गया, नि अज

चली आई रे भवानी माई पवन पवन पुरवाइयाँ रे, पूर्व दिशा हरलाइ माँ बदरियाँ चुनर झलक ता थइयाँ रे, चली