
लक्ष्मीनारायण स्तोत्रम्
श्रीनिवासन जगन्नाथ श्रीहरे भक्तवत्सल।लक्ष्मीपते नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात्।।१।। राधारमण गोविन्द भक्तकामप्रपूरक।नारायण नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात्।।२।। दामोदर महोदर सर्वपत्तिनिवारण।ऋषे नमस्तुभ्यं त्राहि

श्रीनिवासन जगन्नाथ श्रीहरे भक्तवत्सल।लक्ष्मीपते नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात्।।१।। राधारमण गोविन्द भक्तकामप्रपूरक।नारायण नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात्।।२।। दामोदर महोदर सर्वपत्तिनिवारण।ऋषे नमस्तुभ्यं त्राहि

भगवान शिव से कुछ भी छुपा हुआ नही है, वो सब देख रहे है, उनके चार मुख चारो दिशाओ में

नित्य स्मरण मात्र से ही दुःस्वप्न नाश हो जाएगा। ये सभी सिद्धिया देनेवाला स्तोत्र है जिससे दुःस्वप्न नाशन, वाकसिद्धि, सिद्धिप्राप्ति

घोररूपे महारावे सर्वशत्रुभयङ्करि।भक्तेभ्यो वरदे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।१।। ॐ सुरासुरार्चिते देवि सिद्धगन्धर्वसेविते।जाड्यपापहरे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।२।। जटाजूटसमायुक्ते लोलजिह्वान्तकारिणि।द्रुतबुद्धिकरे देवि त्राहि
नमो देव्यै महादेव्यै सुरभ्यै च नमो नमः।गवां बीज स्वरूपायै नमस्ते जगदम्बिके।।१।। नमो राधा प्रियायै च पद्मांशायै नमो नमः।नमः कृष्ण प्रियायै

भवन रंगीला…मां का शेर पीला पीला है,शेर पीला पीला है, शेर पीला पीला है॥राधा जी ने ओढी चुनरी ओढ़ी कृष्ण

ठुमक ठुमक चली आई मेरी मैया भक्तो ने बोल दिया जयकारा टिका तो मैया मै ले आई बिन्दिया लयाव मेरा

एक दिन राधा जी भगवान कृष्ण से रूठ गई। अनेक दिन बीत गए पर राधा जी कृष्ण से मिलने नहीं

एक दिन राधा जी भगवान कृष्ण से रूठ गई। अनेक दिन बीत गए पर राधा जी कृष्ण से मिलने नहीं

।। जय छठ मैया की, षष्ठी देवी स्तोत्र ।। नमो देव्यै महादेव्यै सिद्ध्यै शान्त्यै नमो नम:।शुभायै देवसेनायै षष्ठी देव्यै नमो