भजन (Bhajan)

जाके प्रिय न राम-बदैही

जाके प्रिय न राम-बदैही। तजिये ताहि कोटि बैरी सम, जद्यपि परम सनेही॥ तज्यो पिता प्रहलाद, बिभीषन बंधु, भरत महतारी। बलि

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शिव शंकर शिवा पती शंभू

परात्मानमेकं जगद्विजमाद्यं निरीहं निराकारमोङ्कारवेद्यम् । यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम् ।। श्रीमच्छंकराचार्यविरचित वेदसारशिवस्तव शिव शंकर

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