जाके प्रिय न राम-बदैही
जाके प्रिय न राम-बदैही। तजिये ताहि कोटि बैरी सम, जद्यपि परम सनेही॥ तज्यो पिता प्रहलाद, बिभीषन बंधु, भरत महतारी। बलि
जाके प्रिय न राम-बदैही। तजिये ताहि कोटि बैरी सम, जद्यपि परम सनेही॥ तज्यो पिता प्रहलाद, बिभीषन बंधु, भरत महतारी। बलि
हे जगजननी हे अम्बे माँ, कृपा करो जगदम्बे माँकृपा करो जगदम्बे माँहे जगजननी हे अम्बे मां, कृपा करो जगदम्बे माँ

आप सभी मुझे दोष दे रहे हैं ।मेरा मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहींजरा सोचें और विचार करें
मेरे मन-मन्दिर में, तेरा उजियारा है, जगदम्बे, मां दुर्गे मुझे तेरा सहारा है ॥ टेर ॥ तू ही ब्रह्माणी है,
तुम झोली भर लो भक्तों रंग और गुलाल से होली खेलेंगे अपनेगिरधर गोपाल से कोरा-कोरा कलश मंगाकर…उसमें रंग घुलवाया,लाल गुलाबी

सनातन ताल से ताल मिलाराम जी का धनुष बाण शिवजी का डमरू, कान्हा की बंसी ओ राधा के घुंघरूजो भुले
परात्मानमेकं जगद्विजमाद्यं निरीहं निराकारमोङ्कारवेद्यम् । यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम् ।। श्रीमच्छंकराचार्यविरचित वेदसारशिवस्तव शिव शंकर

रंग डार गयो री मोपे सांवरा, मर गयी लाजन हे री मेरी बीर, मैं का करूँ सजनी होरी में, रंग

अहंकार को दूर भगाएं प्रभु भक्ति के रंग से प्रेम की होली खेलें सतगुरु के संग संग में सेवा का

🍁होली के दोहे🍁 रंग रंग राधा हुई, कान्हा हुए गुलालवृंदावन होली हुआ सखियाँ रचें धमाल होली राधा श्याम की औ