पकड़ लो हाथ बनबारी ‘
पकड़ लो हाथ बनबारी, नही तो डूब जायेंगेहमारा कुछ ना बिगड़ेगा, तुम्हारी लाज जाएगीधरी है पाप की गठरी, हमारे सिर
पकड़ लो हाथ बनबारी, नही तो डूब जायेंगेहमारा कुछ ना बिगड़ेगा, तुम्हारी लाज जाएगीधरी है पाप की गठरी, हमारे सिर

आशुतोष सशांक शेखर चन्द्र मौली चिदंबरा, कोटि कोटि प्रणाम शम्भू कोटि नमन दिगम्बरा, निर्विकार ओमकार अविनाशी तुम्ही देवाधि देव ,जगत

तेरी गलियों का हूं आशिक़,मैं किधर जाऊंगा,तेरा दीदार ना होगा,तो मैं मर जाऊंगा,छोड़ कर सारे ज़माने को,हुआ हूं तेरा,ताने मारेगा
मुझे दे दर्शन गिरधारी रे,तेरी सांवरी सूरत पे मैं वारि रे॥ जमुना तट हरी धेनु चरावे,,,मधुर मधुर स्वर वेणु बजावे॥तेरी
ओ हरि जी, चरन कमल बलिहारी ओ हरि जीजेहि चरनन से सुरसरि निकली,सारे जगत को तारी ।जेहि चरनन से तरी

सदा-सर्वत्र सभीमें श्याम। कर दिया प्रभुने मुझे निहाल।हटा आवरण, कटा जंजाल॥ दीखते अनावरण नंदलाल।बजाते मुरली मधुर रसाल॥ सदा-सर्वत्र सभीमें श्याम।विविध

क्रोध जगाने का मार्ग है नव निर्माण का मार्ग है अन्दर झांकने की स्टेज है। क्रोध की अग्नि में अरमान

उधो रे हम प्रेम दीवानी हैं,वो प्रेम दीवाना।ऐ उधो हमें ज्ञानकी पोथी ना सुनाना॥ तन मन जीवन श्याम का,श्याम हम्मर

सुर की देवी शारदे, नमामि माता वारदे |सुख दुख दोनों है सगे, मृदु वाणी वीणा लगे ||तन सरवर मन हंस

हे प्रभुवर हे वैदेही वर मुझको निज चरण बसा लीजै।पद कमलों का मैं मधुप बनूं कुछ मधुरस कण बरसा दीजै।।कितने