
बांसुरी सुनूंगी, मैं तो बांसुरी सुनूंगी
बांसुरी सुनूंगी मीरा बाई का भक्ति रस से परिपूर्ण पद भावार्थ और व्याख्या:यह पद भक्त शिरोमणि मीरा बाई की अटूट
बांसुरी सुनूंगी मीरा बाई का भक्ति रस से परिपूर्ण पद भावार्थ और व्याख्या:यह पद भक्त शिरोमणि मीरा बाई की अटूट
यह हनुमान तांडव स्तोत्र सावधानी से पढ़ना चाहिए। इसके पढ़ने से हर तरह के संकट, रोग, शोक आदि सभी तत्काल
रक्ष रक्ष महादेवि दुर्गे दुर्गतिनाशिनि।मां भक्त मनुरक्तं च शत्रुग्रस्तं कृपामयि।। विष्णुमाये महाभागे नारायणि सनातनि।ब्रह्मस्वरूपे परमे नित्यानन्दस्वरूपिणी।। त्वं च ब्रह्मादिदेवानामम्बिके जगदम्बिके।त्वं
शैलपुत्री-कार्येण याऽनेकविधां श्रयन्ती, निवारयन्ती स्मरतां विपत्तीः।अपूर्वकारुण्य रसार्द्र चित्ता, सा शैलपुत्री भवतु प्रसन्ना।।१।। ब्रह्मचारिणी-स्वर्गोऽपवर्गो नरकोऽपि यत्र, विभाव्यते दृक्कलया विविक्तम्।या चाऽद्वितीयाऽपि शिवद्वितीया,
लाडली अदभुत नजारातेरे बरसाने में है,बेसहारों को सहारा,तेरे बरसाने में है।लाडली अद्भुत नजारा,तेरे बरसाने में है ॥ झांकीया तेरे महल
1 चलो चले मन वृंदावन की परिक्रमा करी आवे।द्वादश वन हैं इनके अंदर कृपा सबहि की पावे।।2 शुरू करें गुरु
श्रीकृष्ण के लीला काल का समय था, गोकुल में एक मोर रहता था, वह मोर श्रीकृष्ण का भक्त था, वह
जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता।गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधुसुता प्रिय कंता।। पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम
जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणा कर करतार हरेजय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणाकर करतार हरे,जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशि, सुख सार
जय राम रमारमणं समनं । भव ताप भयाकुल पाहि जनं ॥अवधेस सुरेस रमेस विभो । सरनागत मागत पाहि प्रभो ॥