
कान्हा पर लाड लडावे यशोदा मैया
कान्हा पर लाड लडावे यशोदा मैया….जब कान्हा को जन्म भयो है,हीरा मोती लुटावे यशोदा मैया,कान्हा पर लाड लडावे यशोदा मैया….जब

कान्हा पर लाड लडावे यशोदा मैया….जब कान्हा को जन्म भयो है,हीरा मोती लुटावे यशोदा मैया,कान्हा पर लाड लडावे यशोदा मैया….जब

नमो राघवाय करुणावरुणालय श्रीमद्राघवेन्द्र सरकार महाप्रभु अप्राकृत और सच्चिदानन्दघन हैं। उनके नाम भी अप्राकृत और सच्चिदानन्द-स्वरूप हैं। भगवान् श्रीराम सर्वथा

हे गोविन्द हे नटवर नागर हे मधुसूदन मोहन हो ।राधा के संग रास रचावत मधुबन में मनमोहन हो ।।हे

दासी हूँ तेरी श्यामा, सेवा में साथ रख लो,मैं आपकी हूँ प्यारी, मैं आपकी हूँ प्यारी,अपने ही पास रख लो,दासी
तीन लोक के स्वामी “श्री हरि” प्रगट्यो बन यदुराई नन्द गाँव में जसुदा माई जायो कृष्ण कन्हाई ब्रज में बजत

जाकी रही भावना जैसी।प्रभु मूरति तिन्ह देखी तैसी।। श्रीरामचरितमानस के बालकाण्ड की यह चौपाई है। जिसके पास जैसा भाव है,

अयि गिरिनंदिनि नंदितमेदिनि विश्वविनोदिनि नंदनुतेगिरिवरविंध्यशिरोधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते।भगवति हे शितिकण्ठकुटुंबिनि भूरिकुटुंबिनि भूरिकृतेजय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।। सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरतेत्रिभुवनपोषिणि

भोला हुआ रे दिवाना बेल पत्र में क्या गुण है, भोला हुआ रे दिवाना ,नलके का पानी मेरे भोले को

श्यामा हृदय कमल सो प्रगट्यौ और श्याम हृदय कू भाए वृन्दावन प्यारो वृन्दावन, वृंदावन मेरो वृन्दावनसब सुख सागर रूप उजागर,
प्रेम जब अनंत हो गया,रोम रोम संत हो गया,प्रेम जब अनंत हो गया,रोम रोम संत हो गया,देवालय बन गया बदन,संत