मेरी चौखट पे चल के आजचारो धाम आये हैं
मेरी चौखट पे चल के आजचारो धाम आये हैंबजाओ ढोल स्वागत मेंमेरे घर राम आये हैं कथा शबरी की जैसेजुड़
मेरी चौखट पे चल के आजचारो धाम आये हैंबजाओ ढोल स्वागत मेंमेरे घर राम आये हैं कथा शबरी की जैसेजुड़
होरी खेलन पधारो वृन्दावन में होरी खेलन पधारो वृन्दावन में।।श्यामा खेलन पधारो वृन्दावन में।राधे खेलन पधारो वृन्दावन में।। वृन्दावन में,
केसर रंग से पिचकारी भर केसर रंग से पिचकारी भर लाई, पिचकारी भर लाई मैं तो सांवरे के संग होरी
राम शब्द में दो अर्थ व्यंजित हैं। सुखद होना और ठहर जाना जैसे अपने मार्ग से भटका हुआ कोई पथिक
जपो राम राम भजो राम राम,दुखी मन को मिलेगा आराम,जिस घडी काम कोई ना आये,उस घड़ी राम आएंगे काम,जपो राम
ठाकुरजी की ये लीला बडी ही मनमोहक है। नंदलाल ने सुबह ही टेरकंदब पर अपने सभी मित्रों को बुलाया और
आज तो कैलाश में बाज रहे डमरू, नाच रहे भोलेबाबा बाज रहे घूंघरूशंकर जी नाचे संग पार्वती जी नाचेभूत प्रेत
ऋतु बसन्ती गूँजे रे कोयलियापहनूँ न प्रियतम आज पायलियाहर घुंघरू ने तेरी याद दिलाईबिरहन रोये……… बिरहन रोये आओ रे कन्हाईप्रियतम
एक दिन वो भोले भंडारी, बन करके बृजनारी, गोकुल में आ गये हैं,। पार्वती भी मनाके हारी, ना माने त्रिपुरारी,
नाम है तेरा तारणहाराकब तेरा दर्शन होगाजिनकी प्रतिमा इतनी सुंदरवो कितना सुंदर होगावो कितना सुंदर होगा…जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदरवो कितना