
कन्हैया दौड़ा आयेगा,
अपने भगत की आँख में आँसू देख ना पाएगा,जब जब भी श्याम दिवानो के सर पे संकट मंडरायेगा,कन्हैया दौड़ा आयेगा,अपने

अपने भगत की आँख में आँसू देख ना पाएगा,जब जब भी श्याम दिवानो के सर पे संकट मंडरायेगा,कन्हैया दौड़ा आयेगा,अपने

हे केशव, हे नाथ, मैं आपकी शरण मे हूँमैने जाने अनजाने मे , हाथ , पाँव , वाणी , शरीर

प्रेम का सागर लिखूं!या चेतना का चिंतन लिखूं!प्रीति की गागर लिखूं,या आत्मा का मंथन लिखूं!रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित,चाहे जितना

आज कदंब की डाली झूले,श्रीराधा नंदकिशोरआहा…….!!कितना मनोरम दृश्य हैं… अरे छाई सावन की है बदरिया,और ठंडी पड़े फुहार,जब श्यामसुंदर बजाई

कजरारी तेरी आँखों में क्या,भरा हुआ कुछ टोना है ।तेरा तो हसन औरों का मरन,अब जान हाथ से धोना है

परिचय : भगतो पर जब भी संकट के बादल मंडराते है,माँ की लाल चुनरिया बच्चो की सिर पर ममता की

सावन मास में वृंदावन में बिहारी जी के फूल बंगले सजते हैं सब सावन के झूलों के गीत गा गा

खाटू का श्याम बाबा लगता है सबको प्यारा इस दर पे जो भी आया अरदास है लगायाझोली फैला के अपनी

राम रस बरस्यो री, आज म्हारे आंगन में । परदे हटे आंख से मन से, जान पहचान हुई निजपन से,

मेरे मन के तार तार में, भगवान छुपे बैठे हैं, मेरी श्रद्धा और विश्वास में, भगवान छुपे बैठे हैं। ये