भजन (Bhajan)

कन्हैया दौड़ा आयेगा,

अपने भगत की आँख में आँसू देख ना पाएगा,जब जब भी श्याम दिवानो के सर पे संकट मंडरायेगा,कन्हैया दौड़ा आयेगा,अपने

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प्रेम का सागर लिखूं!

प्रेम का सागर लिखूं!या चेतना का चिंतन लिखूं!प्रीति की गागर लिखूं,या आत्मा का मंथन लिखूं!रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित,चाहे जितना

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